शिलाजीत की असली पहचान कैसे करें: जानें इसके गुण और उपयोग

असली शिलाजीत की पहचान कैसे करें?
शिलाजीत एक प्राकृतिक औषधि है, जो चट्टानों से प्राप्त होती है। यह हजारों वर्षों में बनती है और इसकी उपलब्धता सीमित है, जबकि मांग अधिक है। इस कारण से, बाजार में कई प्रकार के मिलावटी शिलाजीत मिलते हैं। असली शिलाजीत की पहचान के लिए कुछ परीक्षण निम्नलिखित हैं:
- असली शिलाजीत का टुकड़ा जब अंगारे पर रखा जाता है, तो यह तुरंत खड़ा हो जाता है।
- इसका स्वाद कड़वा और तीखा होता है।
- असली शिलाजीत को अंगारे पर डालने पर यह धुआँ नहीं देता।
- यदि शिलाजीत का टुकड़ा तिनके की नोक पर रखकर पानी में डालें और यह फैल जाए, तो इसे असली माना जा सकता है।
- इसमें गो-मूत्र की गंध होती है और यह काला तथा पतले गोंद जैसा होता है।
शिलाजीत कहाँ पाई जाती है?
शिलाजीत एक काले-भूरे रंग का पदार्थ है, जो हिमालय और अन्य ऊँचे पहाड़ों की चट्टानों से निकलता है। इसे अंग्रेजी में एस्फाल्ट कहा जाता है। यह अफगानिस्तान, भूटान, चीन, नेपाल, पाकिस्तान, सोवियत संघ और तिब्बत के पहाड़ों पर 1000 से 5000 मीटर की ऊँचाई पर पाया जाता है।
आयुर्वेद में, शिलाजीत को एक महत्वपूर्ण रसायन माना गया है, जो बुद्धि को बढ़ाने में सहायक है। यह उम्र बढ़ने के प्रभावों को कम करने, प्रमेह, डायबिटीज, पथरी, पाइल्स, अस्थमा, पीलिया, पार्किंसंस, सूजन, मिर्गी, और अन्य कई बीमारियों के उपचार में उपयोगी है।
शिलाजीत का अर्थ है 'पत्थरों पर विजय प्राप्त करने वाला', और यह गर्मियों में जब चट्टानें गर्म होती हैं, तब निकलता है।
सुश्रुत संहिता और चरक संहिता में शिलाजीत के विभिन्न प्रकारों का वर्णन मिलता है। आचार्य चरक ने चार प्रकार के शिलाजीत का उल्लेख किया है: सुवर्ण, रजत, ताम्र और लौह।
सुवर्ण शिलाजीत गुड़हल के फूल के रंग का, रजत सफेद, ताम्र मोर की गर्दन के रंग का और लौह काले रंग का होता है। गो-मूत्र की गंध वाला शिलाजीत अधिक गुणकारी माना जाता है।
शिलाजीत में उच्च मात्रा में मिनरल्स होते हैं, जो किडनी, मूत्र प्रणाली और जननांगों के लिए अत्यंत लाभकारी हैं।