शिक्षकों के प्रति सम्मान का दिन: शिक्षक दिवस का महत्व

हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है, जो शिक्षकों के प्रति सम्मान और आभार का प्रतीक है। यह दिन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जो भारत के पहले उपराष्ट्रपति और एक महान शिक्षाविद् थे। इस दिन, छात्र अपने शिक्षकों को फूल, मिठाइयाँ और धन्यवाद के संदेश देकर सम्मानित करते हैं। डॉ. राधाकृष्णन ने इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का सुझाव दिया था, जिससे शिक्षकों के योगदान को मान्यता मिली। इस लेख में, हम शिक्षक दिवस के महत्व और डॉ. राधाकृष्णन की शिक्षकों के प्रति योगदान पर चर्चा करेंगे।
 | 
शिक्षकों के प्रति सम्मान का दिन: शिक्षक दिवस का महत्व

शिक्षक दिवस का महत्व

हर साल 5 सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस मनाया जाता है, जो शिक्षकों के प्रति सम्मान और आभार का प्रतीक है। यह दिन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जो भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति थे। उन्हें उनके छात्रों द्वारा बहुत सम्मानित किया जाता है।


यह विशेष दिन शिक्षकों के योगदान को याद करने का अवसर है, जो छात्रों के विकास और भविष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। स्कूलों में फूल, मिठाइयाँ और आभार के छोटे-छोटे इशारे इस दिन को खास बनाते हैं। छात्रों द्वारा लिखे गए संदेश और दिल से कहे गए 'धन्यवाद' शिक्षकों के प्रति सम्मान को दर्शाते हैं।


यह परंपरा डॉ. राधाकृष्णन के राष्ट्रपति कार्यकाल (1962–1967) के दौरान शुरू हुई। जब उनके छात्रों ने उनकी जयंती मनाने की इच्छा व्यक्त की, तो उन्होंने इसे सभी शिक्षकों के सम्मान में शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का सुझाव दिया। उनकी विनम्रता ने इस दिन को पूरे देश में विशेष उत्सव के रूप में स्थापित किया।


डॉ. राधाकृष्णन अपने जीवन में एक उत्कृष्ट छात्र और सम्मानित शिक्षक के रूप में जाने जाते थे। जब वे 1962 में भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने, तो उनके छात्रों ने उनके जन्मदिन को विशेष तरीके से मनाने की इच्छा जताई। उन्होंने सुझाव दिया कि 5 सितंबर को 'शिक्षक दिवस' के रूप में मनाया जाए ताकि समाज में शिक्षकों के योगदान को सम्मानित किया जा सके।


डॉ. राधाकृष्णन एक साधारण तेलुगु ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे और उन्होंने छात्रवृत्तियों की मदद से अपनी शिक्षा पूरी की। उन्होंने दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की और 1917 में 'रवींद्रनाथ ठाकुर का दर्शन' नामक एक पुस्तक प्रकाशित की। उन्होंने 1931 से 1936 तक आंध्र विश्वविद्यालय के उपकुलपति के रूप में कार्य किया और 1939 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के उपकुलपति बने।


तब से, भारत में शैक्षणिक संस्थान हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाते हैं ताकि उन शिक्षकों के अमूल्य योगदान को सम्मानित किया जा सके, जो युवा मनों को मार्गदर्शन करते हैं और देश के भविष्य को आकार देते हैं।