शिक्षक दिवस 2025: भारत के ऐतिहासिक शिक्षण संस्थानों की महत्ता

शिक्षक दिवस 2025 का महत्व
शिक्षक दिवस 2025: 5 सितंबर 2025 को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है। शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्त करने का साधन नहीं है, बल्कि यह सभ्यता की नींव है। भारत की मिट्टी ने कई ऐसे शिक्षण केंद्र दिए हैं जिनका ज्ञान विश्व में फैला है। नालंदा, तक्षशिला और शांतिनिकेतन केवल संस्थान नहीं हैं, बल्कि भारत की वैचारिक धरोहर और शिक्षण परंपरा के जीवित प्रमाण हैं। शिक्षक दिवस पर इन स्थानों को याद करना शिक्षा और शिक्षक परंपरा के गर्व को सलाम करने के समान है।
ऐतिहासिक शिक्षण संस्थान
इस शिक्षक दिवस पर, नालंदा, तक्षशिला और शांतिनिकेतन जैसे ऐतिहासिक शिक्षण संस्थानों के बारे में जानें, जिन्होंने न केवल भारतीय बल्कि विश्व के छात्रों को आकर्षित किया। इन तीन संस्थानों की विशेषता यह थी कि यहाँ शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं थी। शिक्षक अपने छात्रों को जीवन दर्शन, मूल्य और संस्कार सिखाते थे। यही कारण है कि विश्व भारत की शिक्षक परंपरा को सबसे पुरानी और महान मानता है। आइए, ऐतिहासिक शिक्षा केंद्रों के इतिहास और विशेषताओं के बारे में जानते हैं।
नालंदा
नालंदा: नालंदा विश्वविद्यालय बिहार राज्य में स्थित है। यह शैक्षणिक संस्थान 5वीं शताब्दी ईस्वी में स्थापित हुआ था। यह विश्व का पहला आवासीय अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय और प्राचीन भारत का पहला प्रमुख ज्ञान केंद्र था। यहाँ वेद, तर्क, गणित, खगोलशास्त्र और धर्म जैसे विषयों की शिक्षा दी जाती थी। इसे "ज्ञान का महासागर" कहा जाता था। यहाँ देश-विदेश से हजारों छात्र और शिक्षक शिक्षा प्राप्त करने आते थे। नालंदा ने न केवल भारत से, बल्कि चीन, मंगोलिया, तिब्बत, कोरिया और अन्य एशियाई देशों से छात्रों को आकर्षित किया। नालंदा केवल शिक्षा का केंद्र नहीं था, बल्कि वैश्विक संवाद का प्रतीक भी था।
तक्षशिला
तक्षशिला: तक्षशिला विश्वविद्यालय वर्तमान में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित है। यह विश्व के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक था। तक्षशिला की स्थापना 7वीं शताब्दी ईसा पूर्व में हुई थी, और यह शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। यहाँ गुरुकुल परंपरा के तहत विभिन्न विषयों और व्यावसायिक ज्ञान की शिक्षा दी जाती थी। यहाँ 10,000 से अधिक छात्र और 200 से अधिक आचार्य उपस्थित थे। राजनीति, युद्ध, वेद, अर्थशास्त्र और चिकित्सा जैसे विषयों की शिक्षा दी जाती थी। तक्षशिला मानव इतिहास का पहला ज्ञात विश्वविद्यालय था। यहीं से पाणिनी, चाणक्य और चरक जैसे महान विद्वानों ने शिक्षा प्राप्त की। इसे ज्ञान का केंद्र होने के नाते अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्धि भी मिली। यूनेस्को ने तक्षशिला को विश्व धरोहर घोषित किया।
शांतिनिकेतन
शांतिनिकेतन: शांतिनिकेतन को आधुनिक भारत का शिक्षा केंद्र कहा जाता है। इसकी स्थापना 1863 में पश्चिम बंगाल में महर्षि देवेंद्रनाथ ठाकुर द्वारा की गई थी। बाद में, रवींद्रनाथ ठाकुर ने इसे 1901 में गुरुकुल शैली के स्कूल के रूप में विकसित किया और 1921 में विश्व भारती विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया। इस शिक्षण केंद्र में कला, साहित्य और संगीत पर जोर दिया गया, जो पारंपरिक शिक्षा के तरीकों से दूर था। शांतिनिकेतन को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया गया है, जिसने इसे वैश्विक पहचान दी है। यहाँ भारतीय और पश्चिमी शिक्षा का आधुनिक संगम है, जो छात्रों को विविध पाठ्यक्रम प्रदान करता है। आज भी इसे विश्व भारती विश्वविद्यालय के रूप में पहचाना जाता है।
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