शाहपुरा में बैंक प्रबंधक से 68 लाख की ठगी: डिजिटल अरेस्ट की बढ़ती घटनाएं
शाहपुरा में ठगी का मामला

शाहपुरा में बैंक ऑफ इंडिया के एक सहायक प्रबंधक को डिजिटल अरेस्ट कर 68 लाख 50 हजार रुपये की ठगी की गई। आरोपियों ने भोपाल पुलिस के अधिकारी बनकर वीडियो कॉल के माध्यम से उन्हें दो दिनों तक नजरबंद रखा। इसके बाद, उन्हें बैंक से 68 लाख रुपये आरटीजीएस करने के बाद छोड़ा गया। इस मामले में भोपाल राज्य साइबर क्राइम के अधिकारियों ने जांच शुरू कर दी है।
पुलिस के अनुसार, शाहपुरा थाना क्षेत्र के बावड़िया कला में बैंक ऑफ इंडिया के सहायक प्रबंधक दयाराम देशमुख का परिवार निवास करता है। वे बैंक से सेवानिवृत्त हुए हैं। सोमवार को उन्हें पुलिस वर्दी में एक व्यक्ति ने कॉल किया, जिसने कहा कि उनका मोबाइल नंबर दिल्ली में हुई एक आतंकी घटना में पाया गया है। जांच के दौरान उन्हें वीडियो कॉल पर रहना होगा, अन्यथा पुलिस उन्हें हिरासत में ले लेगी।
डिजिटल अरेस्ट की घटनाएं
पिछले एक साल में हुई घटनाएं
केस-1: अवधपुरी थाना क्षेत्र में रहने वाली 70 वर्षीय डॉक्टर रागिनी मिश्रा को नवंबर 2024 में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में तीन दिनों तक डिजिटल अरेस्ट किया गया। इस दौरान उनसे दस लाख रुपये की ठगी की गई।
केस-2: स्टेशन बजरिया में इंजीनियर प्रमोद कुमार को नवंबर 2024 में वीडियो कॉल के जरिए लगभग 24 घंटे तक नजरबंद रखा गया। आरोपियों ने खुद को ईओडब्ल्यू का अधिकारी बताकर उनसे साढ़े तीन लाख रुपये की मांग की।
केस-3: अयोध्या नगर में 71 वर्षीय विनोद कुमार गुप्ता और उनकी पत्नी को साइबर ठगों ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर दो महीनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा। आरोपियों ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग और मानव तस्करी में फंसाने का डर दिखाकर 68 लाख 30 हजार रुपये ट्रांसफर कराए।
दयाराम देशमुख और परिवार पर प्रभाव
65 वर्षीय दयाराम देशमुख इस घटना से गहरे सदमे में हैं। उन्होंने चंद्रिका सोसायटी में बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में जाकर अपनी जमा राशि को आरोपियों के बताए गए खातों में ट्रांसफर किया।
उनकी पत्नी स्नेहलता ने बताया कि जालसाजों ने भोपाल पुलिस के अधिकारी बनकर उन्हें डिजिटल अरेस्ट किया। उनके बेटे पियूष ने कहा कि आरोपियों ने उनके पिता को बैंक सेवा के दौरान घोटाले में फंसने का डर दिखाकर पैसे जमा करवाए।
भोपाल में इस महीने डिजिटल अरेस्ट की यह दूसरी घटना है। इससे पहले कोहेफिजा में एक अधिवक्ता को भी इसी तरह से ठगा गया था।
बैंक की भूमिका पर सवाल
आरोपियों ने गिरफ्तारी से पहले एक एप डाउनलोड कराया, जिसके माध्यम से दयाराम को नजरबंद रखा गया। राज्य साइबर क्राइम सेल ने बैंक अधिकारियों की लापरवाही को उजागर किया है।
पियूष ने कहा कि प्रशासन को बैंकों में जागरूकता बढ़ाने के लिए कदम उठाने चाहिए।
पुलिस का बयान
पुलिस का कहना
“पीड़ित स्नेहलता देशमुख के आवेदन पर मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने 5 लाख 17 हजार रुपये होल्ड कर दिए हैं और शेष राशि की वापसी के प्रयास जारी हैं।”
– प्रणय नागवंशी, पुलिस अधीक्षक, राज्य साइबर मुख्यालय, भोपाल
सावधानी बरतने के उपाय
कैसे बरतें सावधानी
सायबर सेल के टोल फ्री नंबर 1930 पर कॉल करें।
अनजान कॉल का जवाब न दें।
लालच भरे अनजान एसएमएस को नजरअंदाज करें।
किसी भी वीडियो कॉल पर सतर्क रहें।
डिजिटल गिरफ्तारी के लिए समंस या वारंट जारी नहीं होते।
