शशि थरूर ने वंशवादी राजनीति पर उठाए सवाल, योग्यतावाद की आवश्यकता पर जोर
वंशवादी राजनीति का खतरा
कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने भारत में वंशवादी राजनीति की तीखी आलोचना की है, इसे लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा मानते हुए कहा है कि देश को अब योग्यतावाद की दिशा में बढ़ना चाहिए। उन्होंने 'भारतीय राजनीति एक पारिवारिक व्यवसाय है' शीर्षक से एक लेख में इस मुद्दे पर अपने विचार साझा किए। थरूर ने तर्क किया कि वंशवादी राजनीति भारतीय लोकतंत्र के लिए एक चुनौती है और देश को योग्य नेतृत्व की ओर अग्रसर होना चाहिए। यह टिप्पणी कांग्रेस आलाकमान और उसके सहयोगियों जैसे समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और शिवसेना पर एक कटाक्ष के रूप में देखी जा सकती है।
नेतृत्व का जन्मसिद्ध अधिकार?
थरूर ने एनडीए में लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान का उदाहरण देते हुए कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में केवल दो दिन बचे हैं। उन्होंने भारतीय राजनीति में वंशवाद के प्रभाव को रेखांकित करते हुए कहा कि यह विचार कि नेतृत्व एक जन्मसिद्ध अधिकार हो सकता है, जवाहरलाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और वर्तमान में राहुल गांधी तथा प्रियंका गांधी वाड्रा तक फैला हुआ है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि दशकों से एक ही परिवार का वर्चस्व रहा है।
वंशवाद का प्रभाव
थरूर ने कांग्रेस के इंडिया ब्लॉक सहयोगियों पर भी निशाना साधा, जिसमें उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे, तथा समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव का उल्लेख किया। जम्मू-कश्मीर में अब्दुल्ला परिवार की तीन पीढ़ियों का जिक्र करते हुए, उन्होंने तमिलनाडु में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन का उदाहरण दिया, जो दिवंगत मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के बेटे हैं। उन्होंने कहा कि यह परिवार द्रविड़ मुनेत्र कड़गम पार्टी को नियंत्रित करता है।
राजनीतिक परिदृश्य में वंशवाद
थरूर ने यह भी बताया कि नेहरू-गांधी परिवार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़ा है, लेकिन वंशवाद पूरे राजनीतिक परिदृश्य में व्याप्त है। उन्होंने बिजयानंद (बीजू) पटनायक का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके निधन के बाद उनके बेटे नवीन ने लोकसभा में अपने पिता की सीट जीती और बाद में बीजू जनता दल की स्थापना की। नवीन ने ओडिशा राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में दो दशकों से अधिक समय तक सेवा की।
