शरद पूर्णिमा व्रत पारण का सही समय और विधि

शरद पूर्णिमा व्रत का पारण एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। इस लेख में जानें कि शरद पूर्णिमा कब होती है, व्रत का पारण कैसे किया जाता है और इसे खोलने का सही समय क्या है। सही विधि और समय का पालन करने से व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है।
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शरद पूर्णिमा व्रत पारण का सही समय और विधि

शरद पूर्णिमा व्रत पारण

शरद पूर्णिमा व्रत पारण का सही समय और विधि

शरद पूर्णिमा व्रत पारण


शरद पूर्णिमा व्रत 2025: इस दिन का धार्मिक महत्व अत्यधिक है, क्योंकि इस अवसर पर चाँद अपनी 16 कलाओं से युक्त होता है। इसे कोजागिरी पूर्णिमा और रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है, क्योंकि वे इसी दिन क्षीर सागर से प्रकट हुई थीं। इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ मां लक्ष्मी की पूजा करना भी आवश्यक है। व्रत का पारण सही समय पर करना बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि इसका पूरा फल प्राप्त हो सके। आइए जानते हैं कि शरद पूर्णिमा का व्रत कब खोला जाता है और पारण की विधि क्या है।


शरद पूर्णिमा कब से कब तक रहेगी?


शरद पूर्णिमा तिथि 6 अक्टूबर 2025 को दोपहर 12:23 बजे से शुरू होगी और इसका समापन 7 अक्टूबर 2025 को सुबह 9:16 बजे होगा। पूर्णिमा तिथि समाप्त होने से पहले व्रत का पारण किया जाता है।


शरद पूर्णिमा व्रत का पारण कब करें?


पंचांग के अनुसार, शरद पूर्णिमा व्रत का पारण पूर्णिमा तिथि समाप्त होने से पहले करना चाहिए। इसलिए, 7 अक्टूबर को सुबह 9:16 बजे तक पारण कर लेना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि यदि पारण तिथि समाप्त होने के बाद किया जाए तो उसका फल नहीं मिलता। इसलिए, 7 अक्टूबर को सुबह 9:16 बजे से पहले व्रत खोल लें।


शरद पूर्णिमा का व्रत कैसे खोलें?


व्रत पारण के लिए अगले दिन सुबह स्नान करें।


व्रत पारण से पहले लक्ष्मी जी और चंद्र देव की पूजा अवश्य करें।


इसके बाद रात को चंद्रमा की रोशनी में रखी खीर का भोग भगवान को लगाएं।


फिर इस खीर में तुलसी दल डालकर परिवार को प्रसाद के रूप में बांटें।


इसके बाद शरद पूर्णिमा की खीर खाकर व्रत का पारण करें।


व्रत पारण के बाद जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करें।