शरद पूर्णिमा 2025: महत्व, तिथि और पूजा की सावधानियां

शरद पूर्णिमा: एक विशेष पर्व
शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण चमक में आसमान में दिखाई देता है, और मान्यता है कि इसकी किरणें अमृत के समान होती हैं। वर्ष 2025 में शरद पूर्णिमा का पर्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन इस बार भद्रा और पंचक का प्रभाव भी रहेगा। आइए, जानते हैं कि शरद पूर्णिमा कब है, इसका महत्व क्या है और इस बार हमें किन सावधानियों का पालन करना चाहिए।
शरद पूर्णिमा 2025: तिथि और समय
शरद पूर्णिमा 2025 में 12 अक्टूबर को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि पर आता है। इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं के साथ पूरी तरह से चमकता है। मान्यता है कि इस रात चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। लोग इस रात खीर बनाकर उसे चांदनी में रखते हैं, ताकि यह अमृतमयी हो जाए।
भद्रा और पंचक का प्रभाव
इस बार शरद पूर्णिमा के दिन भद्रा और पंचक का प्रभाव रहेगा, जो इस पर्व को थोड़ा जटिल बना सकता है। ज्योतिष के अनुसार, भद्रा एक अशुभ समय माना जाता है, जिसमें पूजा-पाठ या शुभ कार्य करना वर्जित होता है। वहीं, पंचक भी कुछ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं माना जाता। ज्योतिषियों का कहना है कि इस दिन पूजा का समय चुनते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए। भद्रा का समय सुबह 6:30 बजे से दोपहर 1:15 बजे तक रहेगा, और पंचक का प्रभाव रात 9:00 बजे तक रहेगा। इसलिए, पूजा और अनुष्ठान के लिए रात 9:00 बजे के बाद का समय शुभ रहेगा।
शरद पूर्णिमा का महत्व और परंपराएं
शरद पूर्णिमा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस रात माता लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं और भक्तों को धन-धान्य का आशीर्वाद देती हैं। लोग इस दिन खीर बनाते हैं और इसे चांदनी में रखकर अगले दिन प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। इसके अलावा, इस दिन व्रत रखने और दान-पुण्य करने की भी परंपरा है।
क्या करें और क्या न करें?
भद्रा और पंचक के प्रभाव के कारण इस बार कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। पूजा और अनुष्ठान के लिए भद्रा मुक्त समय यानी रात 9:00 बजे के बाद का समय चुनें। इस दौरान माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करें, मंत्र जाप करें और खीर को चांदनी में रखें। पंचक के कारण नए कार्य शुरू करने से बचें। ज्योतिषियों की सलाह है कि इस दिन सकारात्मक ऊर्जा के लिए ध्यान और भक्ति में समय बिताएं।
शरद पूर्णिमा का पर्व
शरद पूर्णिमा का यह पर्व न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्वास्थ्य और समृद्धि का भी प्रतीक है। इस बार सावधानी के साथ इस पर्व को मनाएं और चंद्रमा की अमृतमयी किरणों का लाभ उठाएं।