शरद पूर्णिमा 2025: महत्व और तिथियाँ

शरद पूर्णिमा का महत्व
हिंदू धर्म में आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है, जो विशेष महत्व रखती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन की रात को चंद्रमा अपने सभी 16 चरणों में पूर्ण होता है और पृथ्वी पर अमृत की वर्षा करता है। इस दिन लक्ष्मी-नारायण और चंद्र देव की पूजा करने से इच्छाएँ पूरी होती हैं और कठिन समस्याएँ हल होती हैं।

देवघर के ज्योतिषी पंडित नंद किशोर मुद्गल ने इस त्योहार के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की।
शरद पूर्णिमा 2025 कब है?
पंडित नंद किशोर मुद्गल के अनुसार, इस वर्ष शरद पूर्णिमा का व्रत 6 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा, क्योंकि आश्विन मास की पूर्णिमा की रात का विशेष महत्व है।
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 6 अक्टूबर 2025, सुबह 11:02 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 7 अक्टूबर 2025, दोपहर 1:37 बजे
एक अद्भुत और शुभ संयोग बन रहा है।
इस वर्ष शरद पूर्णिमा पर एक विशेष संयोग बन रहा है। इस दिन उत्तरभाद्रपद नक्षत्र के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग होगा, जिससे यह दिन और भी खास और फलदायी बन जाएगा।
शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है। इसलिए इस दिन चंद्रमा की रोशनी में खीर रखना और उसका सेवन करना विशेष महत्व रखता है।
यह माना जाता है कि चंद्रमा की किरणें खीर में अमृत का संचार करती हैं। इस अमृत समान खीर का सेवन करने से सभी शारीरिक कष्ट दूर होते हैं और अमृत के गुण प्राप्त होते हैं।
इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना और जरूरतमंदों को दान देना भी पुण्य लाता है और सभी पापों का नाश करता है।
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