शरद पवार ने महाराष्ट्र सरकार पर गन्ना किसानों से राहत कोष में योगदान लेने का आरोप लगाया

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने महाराष्ट्र सरकार पर आरोप लगाया है कि वह बारिश से प्रभावित किसानों की मदद करने के बजाय गन्ना किसानों से राहत कोष में योगदान मांग रही है। उन्होंने सरकार से गन्ना मिलों पर शुल्क लगाने के निर्णय पर पुनर्विचार करने की अपील की है। इस निर्णय का विरोध कई किसान नेताओं ने किया है, जबकि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट किया है कि यह योगदान गन्ना मिलों के मुनाफे से आएगा। जानें इस विवाद के सभी पहलुओं के बारे में।
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शरद पवार ने महाराष्ट्र सरकार पर गन्ना किसानों से राहत कोष में योगदान लेने का आरोप लगाया

शरद पवार की आलोचना

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार ने महाराष्ट्र सरकार पर आरोप लगाया है कि वह बारिश से प्रभावित किसानों की सहायता करने के बजाय गन्ना किसानों से मुख्यमंत्री राहत कोष (सीएमआरएफ) में योगदान मांग रही है।


पवार ने सरकार से गन्ना मिलों पर शुल्क लगाने के निर्णय पर पुनर्विचार करने की अपील की है। यह आलोचना उस समय की गई जब सरकार ने सीएमआरएफ के तहत प्रभावित किसानों को सहायता प्रदान करने के लिए गन्ने पर 'लेवी' लगाने का निर्णय लिया।


सरकार का निर्णय

पवार ने कहा, "मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि महाराष्ट्र सरकार ने बाढ़ से प्रभावित मराठवाड़ा के किसानों को वित्तीय सहायता देने के लिए गन्ना किसानों से अतिरिक्त शुल्क वसूलने का निर्णय लिया है। मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि वह अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे।"


सरकार ने पिछले सप्ताह सीएमआरएफ के लिए गन्ने पर प्रति टन 10 रुपये और बाढ़ प्रभावित किसानों की सहायता के लिए प्रति टन 5 रुपये का शुल्क लगाने का निर्णय लिया था।


किसान नेताओं का विरोध

कई किसान नेताओं, जैसे राजू शेट्टी, कांग्रेस विधान परिषद सदस्य सतेज पाटिल और राकांपा विधायक रोहित पवार ने इस शुल्क का विरोध किया है, इसे अनुचित और वित्तीय बोझ बताया है।


हालांकि, सरकार का कहना है कि यह कदम मराठवाड़ा क्षेत्र में बाढ़ प्रभावित परिवारों को तात्कालिक राहत प्रदान करने के लिए आवश्यक है।


मुख्यमंत्री का स्पष्टीकरण

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को स्पष्ट किया कि यह योगदान गन्ना मिलों के मुनाफे से आएगा, न कि किसानों की आय से।


फडणवीस ने कहा, "महाराष्ट्र में लगभग 200 मिलें हैं। एक मिल को सीएमआरएफ में लगभग 25 लाख रुपये का योगदान देना पड़ सकता है। हम किसानों से नहीं, बल्कि चीनी मिलों के मुनाफे से धन की मांग कर रहे हैं।"


केंद्रीय गृहमंत्री की प्रतिक्रिया

इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी उपस्थित थे। उन्होंने इस निर्णय की आलोचना करने वालों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वे इसे गलत तरीके से प्रस्तुत कर रहे हैं।


मुख्यमंत्री ने कहा, "कुछ लोग इसे सरकार द्वारा किसानों से पैसे लेने के रूप में चित्रित कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि यह योगदान मिल के मुनाफे से है और यह मराठवाड़ा के बाढ़ प्रभावित किसानों को जाएगा। कुछ मिलें तो किसानों के साथ धोखाधड़ी भी कर रही हैं।"