शक्ति पीठ एक्सप्रेसवे: 802 किमी लंबा मार्ग यात्रा समय को 10 घंटे तक घटाएगा

महाराष्ट्र में शक्ति पीठ एक्सप्रेसवे का निर्माण एक महत्वपूर्ण कदम है, जो 802 किमी लंबा होगा और यात्रा समय को 10 घंटे तक घटाएगा। यह एक्सप्रेसवे पवनार से पत्रादेवी तक फैलेगा, जिससे धार्मिक स्थलों और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। इस परियोजना से न केवल यात्रा में सुविधा होगी, बल्कि क्षेत्रीय विकास और पर्यटन को भी नया आयाम मिलेगा। जानें इस एक्सप्रेसवे के महत्व और इसके द्वारा लाए जाने वाले परिवर्तनों के बारे में।
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शक्ति पीठ एक्सप्रेसवे: 802 किमी लंबा मार्ग यात्रा समय को 10 घंटे तक घटाएगा

भारत का नया शक्ति पीठ एक्सप्रेसवे

भारत का सड़क नेटवर्क विश्व के सबसे बड़े और मजबूत नेटवर्क में से एक माना जाता है। पिछले एक दशक में, देश ने सड़क अवसंरचना के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं। आधुनिक राजमार्गों और एक्सप्रेसवे ने परिवहन प्रणाली में बड़ा बदलाव लाया है, जिससे शहरों के बीच यात्रा का समय काफी कम हो गया है। अब इस दिशा में एक और कदम उठाया गया है - शक्ति पीठ एक्सप्रेसवे का निर्माण।


हाल ही में, महाराष्ट्र सरकार ने इस परियोजना को मंजूरी दी है, जो वार्धा जिले के पवनार से शुरू होकर सिंधुदुर्ग जिले में पत्रादेवी (महाराष्ट्र-गोवा सीमा) तक जाएगी। यह भारत के सबसे लंबे एक्सप्रेसवे में से एक बनने जा रहा है।


यह एक्सप्रेसवे 802 किमी लंबा होगा और इसमें छह लेन होंगी। इसके निर्माण की लागत लगभग ₹ 86,300 करोड़ होने का अनुमान है। इसके लिए राज्य सरकार ने परियोजना के डिज़ाइन और भूमि अधिग्रहण के लिए ₹ 20,000 करोड़ की राशि मंजूर की है।


यह एक्सप्रेसवे पवनार और पत्रादेवी के बीच यात्रा के समय को 18-20 घंटे से घटाकर केवल 8-10 घंटे कर देगा।


मार्ग के दौरान, यह एक्सप्रेसवे तीन प्रमुख शक्ति पीठों - महालक्ष्मी (कोल्हापुर), तुळजा भवानी (धाराशिव), और पत्रादेवी (गोवा); दो ज्योतिर्लिंगों, औंधा नागनाथ (हिंगोली) और पार्ली वैजनाथ (बीड); और पांडहरपुर (जहां प्रसिद्ध श्री विठोबा-रुक्मिणी मंदिर स्थित है) से गुजरेगा।


धार्मिक महत्व के अलावा, यह एक्सप्रेसवे क्षेत्रीय विकास, पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों को भी नया प्रोत्साहन देगा, जिससे राज्य के सामाजिक और सांस्कृतिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव आएगा।