वैश्विक कार्यबल की आवश्यकता पर एस जयशंकर की टिप्पणी

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वैश्विक कार्यबल की आवश्यकता पर जोर दिया है, यह बताते हुए कि कई देशों में जनसांख्यिकी के कारण इस मांग को पूरा करना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने व्यापार और आव्रजन चुनौतियों के संदर्भ में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियों का उल्लेख किया। जयशंकर ने कहा कि तकनीकी प्रगति और कनेक्टिविटी में सुधार के माध्यम से व्यापार में बाधाओं का सामना किया जा सकता है। उनके विचार वैश्विक अनिश्चितता और कूटनीति के महत्व को भी उजागर करते हैं।
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वैश्विक कार्यबल की आवश्यकता पर एस जयशंकर की टिप्पणी

वैश्विक कार्यबल की आवश्यकता

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में कहा कि वर्तमान समय में वैश्विक कार्यबल की आवश्यकता बढ़ रही है। उन्होंने यह भी बताया कि कई देशों में राष्ट्रीय जनसांख्यिकी के कारण इस मांग को पूरा करना मुश्किल हो रहा है।


यह बयान व्यापार और शुल्क संबंधी चुनौतियों के साथ-साथ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आव्रजन नीति के सख्त रुख के संदर्भ में आया है, जिसमें एच-1बी वीजा पर 100,000 अमेरिकी डॉलर का नया शुल्क भी शामिल है, जो मुख्य रूप से भारतीय पेशेवरों को प्रभावित करता है। भारतीय नागरिक इन अस्थायी कार्य वीजा के प्रमुख लाभार्थी हैं।


आव्रजन और व्यापार चुनौतियाँ

जयशंकर की टिप्पणी वैश्विक व्यापार तनाव और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की आव्रजन नीति के सख्त रुख के संदर्भ में आई है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति कार्यबल वितरण के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता को दर्शाती है।


बाधाओं के बावजूद व्यापार का विकास

जयशंकर ने वैश्विक व्यापार प्रवाह पर चर्चा करते हुए कहा कि अनिश्चितताओं के बावजूद, व्यापार हमेशा अपने लिए रास्ता निकाल लेता है। उन्होंने बताया कि आज भौतिक और डिजिटल कारणों से व्यापार करना पहले से कहीं अधिक आसान हो गया है।


उन्होंने कहा कि तकनीकी प्रगति और कनेक्टिविटी में सुधार के माध्यम से बाधाओं का सामना किया जा सकता है।


प्रौद्योगिकी और आत्मनिर्भरता

मंत्री ने बताया कि निकट भविष्य में दुनिया तकनीक, व्यापार और कार्यस्थलों में बदलाव की ओर बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि बड़े देशों के लिए आत्मनिर्भरता और क्षमता निर्माण अत्यंत महत्वपूर्ण है।


जयशंकर ने भारत के डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) का उल्लेख करते हुए कहा कि कई देश इसे अन्य मॉडलों की तुलना में अधिक प्रासंगिक मानते हैं।


वैश्विक मामलों में अनिश्चितता

उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में वैश्विक अनिश्चितता और अस्थिरता में वृद्धि हुई है। नीतिगत बदलाव अब वैश्विक चर्चा का हिस्सा बन गए हैं।


जयशंकर ने कहा कि आज कूटनीति का मुख्य उद्देश्य जोखिम को कम करना और अप्रत्याशित झटकों के प्रति लचीलापन बनाना है।