वीरान मैदान में छिपा एक भयानक रहस्य

एक रात का रहस्य
शहर के बाहरी इलाके में एक ऐसा मैदान था, जिसे लोग 'वीरान मैदान' के नाम से जानते थे। दिन के समय, यहाँ बच्चे खेलते थे और कभी-कभी कुछ चरवाहे अपनी भेड़ों को लेकर आते थे, लेकिन रात होते ही यहाँ सन्नाटा छा जाता था। केवल हवा में सरसराती सूखी घास और दूर की टिमटिमाती रोशनी ही सुनाई देती थी।
एक रात, इस मैदान में एक अजीब घटना घटी। एक वृद्ध चरवाहा अपनी भेड़ों के साथ लौट रहा था, तभी उसकी नजर मैदान के बीच में पड़ी दो आकृतियों पर पड़ी। वे एक-दूसरे के करीब थे, जैसे कोई प्रेमी जोड़ा जो अपनी दुनिया में खोया हो।
चरवाहा मुस्कुराते हुए आगे बढ़ गया, लेकिन थोड़ी दूर जाने पर उसे बेचैनी महसूस हुई। 'इतनी ठंड में, इतनी रात को? और कोई हरकत नहीं?' उसने मुड़कर फिर से देखा। उनकी स्थिति अजीब थी, जैसे वे पत्थर के बने हों। डर ने उसे घेर लिया और उसने तुरंत पुलिस को सूचित किया।
कुछ ही समय में, पुलिस की एक गाड़ी वहाँ पहुंची। जवानों ने अपनी टॉर्च की रोशनी उन आकृतियों पर डाली। पहले तो उन्हें लगा कि यह कोई प्रेमी जोड़ा है, जो ठंड में सो गया होगा। वे धीरे-धीरे उनके पास पहुंचे, उन्हें जगाने की कोशिश में।
जैसे ही एक पुलिसकर्मी ने उन्हें छूने के लिए हाथ बढ़ाया, उसका हाथ एक ठंडी और कठोर चीज़ से टकराया। उसने टॉर्च की रोशनी में देखा और उसकी चीख निकल गई। उसकी चीख सुनकर दूसरा पुलिसकर्मी भी दौड़कर आया।
जो उन्हें एक रोमांटिक आलिंगन लग रहा था, वह वास्तव में एक भयानक दृश्य था। वे दोनों, एक लड़का और एक लड़की, एक-दूसरे से लिपटे हुए नहीं थे, बल्कि उनके शवों को इस तरह रखा गया था कि ऐसा लगे कि वे लिपटे हुए हैं। उनके शरीर पर धारदार हथियारों के गहरे जख्म थे, और उनके चेहरे पर दर्द की एक भयानक कहानी थी।
पूरे मैदान में खामोशी और दहशत फैल गई। यह कोई साधारण घटना नहीं थी, बल्कि एक सुनियोजित हत्या थी। किसी ने जानबूझकर इस वीरान मैदान को अपनी क्रूरता का गवाह बनाया था।
रात भर पुलिस और फॉरेंसिक टीम ने उस मैदान में काम किया। टॉर्च की रोशनी में, हर सबूत को सावधानी से इकट्ठा किया गया। उस रात, वीरान मैदान की खामोशी में दफन हुआ यह राज़ शहर की नींद उड़ा गया। हर किसी के मन में एक ही सवाल था - वे दोनों कौन थे, और क्यों किसी ने उनकी ज़िंदगी को इस तरह खत्म कर दिया? यह कहानी उस रात के बाद भी उस मैदान में गूंजती रही, एक अनसुलझे रहस्य की तरह, जिसकी गवाह केवल वो खामोश रातें थीं।