वीआईपी ने बिहार चुनाव 2025 के लिए 60 सीटों पर लड़ने की घोषणा की
विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी ने आगामी 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में 60 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। इस निर्णय ने राज्य की राजनीतिक स्थिति में नई चर्चाएँ और रणनीतिक बदलावों को जन्म दिया है। सहनी ने उपमुख्यमंत्री पद को लेकर भी बड़ा दावा किया है, जिसमें तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री और मल्लाह समुदाय से उपमुख्यमंत्री बनाने की बात कही गई है। वीआईपी का यह कदम सामाजिक न्याय और समावेशी राजनीति की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। जानें इस घोषणा के पीछे की रणनीतियाँ और राजनीतिक महत्व।
Jul 31, 2025, 16:49 IST
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वीआईपी की नई राजनीतिक रणनीति
विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के नेता मुकेश सहनी ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घोषणा की है। उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी आगामी 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में 60 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इस घोषणा ने राज्य की राजनीतिक स्थिति में नई चर्चाएँ और रणनीतिक बदलावों को जन्म दिया है। सहनी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से कहा कि वीआईपी 60 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी, जबकि अन्य सीटों पर उनके सहयोगी दलों के प्रत्याशी चुनावी मैदान में होंगे।
यह घोषणा यह दर्शाती है कि वीआईपी की महत्वाकांक्षाएँ बढ़ रही हैं और वे एक व्यापक गठबंधन बनाने की योजना बना रहे हैं। सहनी ने उपमुख्यमंत्री पद को लेकर भी बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि 2025 में उनकी सरकार बनेगी और तेजस्वी यादव बिहार के अगले मुख्यमंत्री होंगे, जबकि उपमुख्यमंत्री पद पर मल्लाह समुदाय से कोई व्यक्ति होगा। उन्होंने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि उनके चार विधायकों को खरीदने का परिणाम 2025 में निषाद समाज चुकता करेगा।
एक अन्य पोस्ट में सहनी ने बताया कि वीआईपी ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है, जिसमें 50% सीटों पर अति पिछड़ा वर्ग और एससी-एसटी समुदाय के उम्मीदवारों को उतारा जाएगा। यह निर्णय सामाजिक न्याय और समावेशी राजनीति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मुकेश सहनी, जिन्हें अक्सर "सन ऑफ़ मल्लाह" कहा जाता है, बिहार में निषाद समुदाय की एक प्रमुख आवाज बनकर उभरे हैं। उनका यह बयान राज्य की राजनीति में एक प्रभावशाली भूमिका की आकांक्षा को दर्शाता है।
2020 के विधानसभा चुनावों में, वीआईपी ने एनडीए के बैनर तले चार सीटें जीती थीं, लेकिन इसके बाद उनके रिश्ते बिगड़ गए और सहनी ने भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन से अलग होने का निर्णय लिया। उनकी पार्टी का आधार, विशेष रूप से मल्लाह समुदाय में, हाल के वर्षों में बढ़ा है। इस नए चुनावी दावे को उस आधार को एक बड़ी राजनीतिक ताकत में बदलने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। सहनी की यह घोषणा उस समय आई है जब महागठबंधन अपने चुनाव पूर्व गणित को अंतिम रूप देने में जुटा है। वीआईपी का 60 सीटों पर चुनाव लड़ने का इरादा गठबंधन वार्ता में एक नई चुनौती पेश करता है।