विराट हिन्दू सम्मेलन में एकता और संस्कृति का संदेश

प्रतापगढ़ में आयोजित विराट हिन्दू सम्मेलन ने हिंदू धर्म की विविधता और एकता पर जोर दिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रमेश ने कहा कि हिंदू और हिंदुत्व भारत की आत्मा हैं। इस सम्मेलन में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से सांस्कृतिक गौरव और एकता का संदेश दिया गया। जानें इस सम्मेलन के प्रमुख विचार और आकर्षण के बारे में।
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हिंदू धर्म की विविधता और एकता

विराट हिन्दू सम्मेलन में एकता और संस्कृति का संदेश


प्रतापगढ़: हिंदू धर्म केवल एक मत या पंथ नहीं है, बल्कि यह विभिन्न मतों और धर्मों का समावेश करता है। वर्तमान में, विश्व कई समस्याओं का सामना कर रहा है, और इनका समाधान भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म की परंपराओं में खोजा जा रहा है।


यह विचार मंगलवार को रूपापुर बस्ती में ओम साई पैलेस में आयोजित विराट हिन्दू सम्मेलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काशी प्रांत के प्रचारक रमेश ने व्यक्त किए। इस सम्मेलन का उद्देश्य हिंदू समाज की एकता, जागरूकता और समाज को मजबूत करना था।


हिंदुत्व और भारतीय संस्कृति की महत्ता

रमेश ने कहा कि दुनिया हमारी ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रही है, और हमें उनके मार्गदर्शन के लिए तैयार रहना चाहिए। हिंदू और हिंदुत्व भारत की आत्मा हैं, जो 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' के सिद्धांत के लिए कार्यरत हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू समाज के संगठित होने से भारत की संस्कृति समृद्ध होगी और राष्ट्र का समग्र विकास संभव होगा।


भारत का इतिहास समृद्ध और वैभवशाली रहा है, लेकिन आपसी मतभेदों के कारण समय-समय पर इसकी सीमाएं संकुचित होती गईं। कार्यक्रम की शुरुआत भारत माता के चित्र पर पुष्प अर्पित करने और दीप जलाने से हुई। इस अवसर पर साधु-संतों, महात्माओं और अतिथियों ने सनातन संस्कृति के उत्थान का संकल्प लिया।


विशिष्ट अतिथियों के विचार

पतंजलि योग पीठ की महिला प्रमुख वंदना ने कहा कि हिंदुत्व की रक्षा के लिए हमें अपने परिवारों को हिंदू रीति-नीति के अनुसार चलाना चाहिए। मुख्य अतिथि अधिवक्ता राधे श्याम शुक्ल ने कहा कि हिंदू संस्कृति सभी को जोड़ने वाली संस्कृति है।


कार्यक्रम में हिंदुत्व पर आधारित भजन, कवि सम्मेलन, नाट्य मंचन, सामूहिक हनुमान चालीसा और भारत माता की आरती जैसे कार्यक्रम आकर्षण का केंद्र रहे। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथियों राजेंद्र दुबे, अति विशिष्ट अतिथियों राजाराम सरोज, उमा दीदी, साध्वी विभा ने भी अपने विचार साझा किए और हिंदू एकता एवं सांस्कृतिक गौरव का सशक्त संदेश दिया।