विदेशी निवेशकों की चौंकाने वाली गतिविधियाँ: 76,609 करोड़ की बिक्री के बावजूद कुछ शेयरों में बढ़ी हिस्सेदारी
विदेशी निवेशकों का बाजार पर प्रभाव
विदेशी निवेशकों का रुख
सितंबर की तिमाही ने बाजार और निवेशकों के लिए कई अप्रत्याशित घटनाएँ प्रस्तुत की। टैरिफ युद्ध में वृद्धि हुई, ट्रंप ने एच-1बी वीजा शुल्क में अचानक बढ़ोतरी की, वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही की आय रिपोर्ट निराशाजनक रही, और भारतीय रुपये में गिरावट आई। इन सभी कारणों से भारतीय बाजार पर दबाव पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बड़े पैमाने पर बिकवाली की।
इस तिमाही में एफआईआई ने 76,609 करोड़ रुपये के भारतीय शेयरों की बिक्री की। वे केवल इक्विटी में ही नहीं, बल्कि समग्र रूप से भी शुद्ध विक्रेता बने रहे। यह आंकड़ा जून तिमाही में एफआईआई के निवेश से लगभग दोगुना है। हालांकि, कुछ कंपनियों में एफआईआई ने अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई, जो 25% से अधिक हो गई। इसका मतलब है कि जब वे अन्य शेयरों में बिकवाली कर रहे थे, तब इन विशेष शेयरों में उन्होंने तेजी से खरीदारी की। आइए जानते हैं इसके पीछे का कारण।
यस बैंक लिमिटेड
यस बैंक वह कंपनी है जिसमें एफआईआई ने सितंबर तिमाही में सबसे अधिक निवेश किया। उनकी हिस्सेदारी 20% बढ़कर दूसरी तिमाही के अंत तक 44.95% हो गई। इसका मुख्य कारण एक प्रमुख विदेशी निवेशक, सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्पोरेशन (एसएमबीसी) द्वारा 24.2% हिस्सेदारी का अधिग्रहण है। अब एसएमबीसी बैंक का सबसे बड़ा शेयरधारक बन गया है और भविष्य में बैंक के प्रबंधन में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
पैसालो डिजिटल लिमिटेड
पैसालो डिजिटल, जो एक गैर-जमा स्वीकार करने वाली एनबीएफसी है, एफआईआई की खरीदारी की सूची में दूसरे स्थान पर रही। सितंबर तिमाही में एफआईआई ने इसमें अपनी हिस्सेदारी 12.81% बढ़ाकर कुल 20.89% कर दी।
मेडी असिस्ट हेल्थकेयर सर्विसेज लिमिटेड
मेडी असिस्ट, जो स्वास्थ्य-तकनीक और बीमा-तकनीक से जुड़ी डिजिटल सेवाएँ प्रदान करती है, एफआईआई की पसंदीदा कंपनियों में तीसरे स्थान पर रही। विदेशी निवेशकों ने इसमें अपनी हिस्सेदारी 11.94% बढ़ाकर 25.83% कर ली।
