विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिकी निर्वासन पर दी जानकारी, मानव तस्करी के मामलों का भी किया जिक्र
विदेश मंत्री का बयान
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में जानकारी दी कि अमेरिका ने 2009 से अब तक 18,822 भारतीय नागरिकों को निर्वासित किया है, जिसमें जनवरी 2025 से अब तक 3,258 भारतीय शामिल हैं।
राज्यसभा में पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए उन्होंने बताया कि मानव तस्करी के मामलों की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और विभिन्न राज्यों ने की है, जिसमें पंजाब में सबसे अधिक मामले सामने आए हैं।
जयशंकर ने एक लिखित उत्तर में कहा, '2009 से अब तक कुल 18,822 भारतीय नागरिकों को भारत वापस भेजा गया है।'
निर्वासन की संख्या
मंत्री ने बताया कि 2023 में 617 और 2024 में 1,368 भारतीयों को अमेरिका से निर्वासित किया गया। उन्होंने कहा, 'जनवरी 2025 से अब तक कुल 3,258 भारतीय नागरिकों को अमेरिका ने भारत निर्वासित किया है। इनमें से 2,032 भारतीय (लगभग 62.3 प्रतिशत) नियमित वाणिज्यिक उड़ानों से और 1,226 भारतीय (37.6 प्रतिशत) चार्टर उड़ानों से लौटे हैं।'
मानव तस्करी के मामले
जयशंकर ने बताया कि एनआईए ने मानव तस्करी के 27 मामलों में प्राथमिकी दर्ज की है, जिसमें 169 गिरफ्तारियां हुई हैं और 132 व्यक्तियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किए गए हैं। एनआईए ने हरियाणा और पंजाब में प्रमुख तस्करों को गिरफ्तार किया है।
उन्होंने कहा, 'पंजाब में मानव तस्करी के मामले सबसे अधिक हैं। पंजाब सरकार ने एसआईटी और तथ्य-अन्वेषण समिति का गठन किया है, जिसके तहत 58 अवैध ट्रैवल एजेंटों के खिलाफ 25 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं।'
अमेरिकी अधिकारियों के साथ बातचीत
विदेश मंत्री ने कहा कि विदेश मंत्रालय, अमेरिकी आईसीई/सीबीपी के साथ भारतीय नागरिकों के निर्वासन के दौरान मानवीय व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए लगातार बातचीत कर रहा है।
उन्होंने यह भी बताया कि मंत्रालय ने विशेषकर महिलाओं और बच्चों के लिए हथकड़ी-बेड़ियों के उपयोग पर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है।
हरजीत कौर का मामला
जयशंकर ने हरजीत कौर (73) के मामले का उल्लेख किया, जिन्हें अमेरिका ने 25 फरवरी को निर्वासित किया था। उन्होंने कहा कि उन्हें हथकड़ी नहीं लगाई गई थी, लेकिन हिरासत के दौरान उनके साथ दुर्व्यवहार हुआ।
उन्होंने कहा, 'हमने इस मामले को अमेरिकी दूतावास के समक्ष औपचारिक रूप से उठाया है और उनके साथ हुए व्यवहार पर अपनी चिंता प्रकट की है।'
