विज्ञान और धर्म: मोहन भागवत का सत्य की खोज पर विचार

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आंध्र प्रदेश में एक सम्मेलन में विज्ञान और धर्म के बीच संबंधों पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि दोनों का उद्देश्य सत्य की खोज करना है और यह कि धर्म केवल मजहब नहीं, बल्कि सृष्टि के संचालन का विज्ञान है। भागवत ने यह भी कहा कि असंतुलन विनाश का कारण बनता है और विज्ञान को धर्म से अलग नहीं समझना चाहिए। उनके विचारों ने इस विषय पर नई दृष्टि प्रस्तुत की है।
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विज्ञान और धर्म: मोहन भागवत का सत्य की खोज पर विचार

आरएसएस प्रमुख का संदेश

विज्ञान और धर्म: मोहन भागवत का सत्य की खोज पर विचार

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत.Image Credit source: Getty Images

मोहन भागवत ने कहा कि भारत का भविष्य उज्ज्वल है और इसे विश्व को योगदान देना है। उन्होंने बताया कि विकास केवल आत्म-प्रगति नहीं है, बल्कि यह एक संतुलित दृष्टिकोण होना चाहिए। विकसित देशों के उदाहरणों से यह स्पष्ट है कि भौतिक विकास के साथ विनाश भी आ सकता है। भागवत ने कहा कि मानवता का उद्देश्य सुख की प्राप्ति है, और विज्ञान की खोज का मूल कारण भी यही है।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विज्ञान और धर्म के बीच कोई संघर्ष नहीं है। दोनों का उद्देश्य सत्य की खोज करना है। भारतीय विज्ञान सम्मेलन में बोलते हुए, भागवत ने कहा कि धर्म को अक्सर गलत समझा जाता है, जबकि यह सृष्टि के संचालन का एक विज्ञान है।

धर्म का सही अर्थ

भागवत ने बताया कि धर्म केवल एक मजहब नहीं है, बल्कि यह सृष्टि के नियमों का पालन करने का एक तरीका है। असंतुलन ही विनाश का कारण बनता है। उन्होंने कहा कि विज्ञान ने ऐतिहासिक रूप से धर्म से दूरी बनाए रखी है, लेकिन यह दृष्टिकोण गलत है।

सत्य की खोज में विज्ञान और अध्यात्म का सामंजस्य

संघ प्रमुख ने कहा कि विज्ञान और अध्यात्म के बीच का अंतर केवल कार्यप्रणाली का है। दोनों का लक्ष्य एक ही है, और वह है सत्य की खोज। इसलिए, विज्ञान और धर्म के बीच कोई टकराव नहीं है।