विकसित भारत-जी राम जी विधेयक पर कांग्रेस और भाजपा के बीच तीखी बहस

लोकसभा में पारित ‘विकसित भारत-जी राम जी विधेयक’ पर कांग्रेस और भाजपा के बीच तीखी बहस छिड़ गई है। कांग्रेस ने इसे ग्रामीण रोजगार के लिए खतरा बताया है, जबकि भाजपा ने इसे जनकल्याणकारी बताया है। प्रियंका गांधी ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह मनरेगा को समाप्त करने की दिशा में है। वहीं, भाजपा ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया है। जानें इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी।
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विकसित भारत-जी राम जी विधेयक पर कांग्रेस और भाजपा के बीच तीखी बहस

विधेयक पर राजनीतिक विवाद

कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने लोकसभा में पारित ‘विकसित भारत-जी राम जी विधेयक’ को ग्रामीण रोजगार के लिए खतरा बताया है। उन्होंने सरकार पर महात्मा गांधी के प्रति नफरत का आरोप लगाया।


वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विधेयक की प्रशंसा की, यह कहते हुए कि इससे जनकल्याण में सुधार होगा और ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूती मिलेगी।


लोकसभा ने बृहस्पतिवार को विपक्ष के विरोध के बावजूद ‘विकसित भारत-जी राम जी विधेयक, 2025’ को पारित किया।


प्रियंका गांधी का विरोध

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा कि यह विधेयक मनरेगा को समाप्त करने की दिशा में है। उन्होंने कहा, "हम इस विधेयक का पूरी तरह से विरोध करेंगे। सभी विपक्षी दल इस पर सहमत हैं।"


उन्होंने यह भी कहा कि 100 से 125 दिन की मजदूरी की बात केवल एक 'चालाकी' है, क्योंकि विधेयक के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि मनरेगा को समाप्त किया जा रहा है।


प्रियंका ने चेतावनी दी कि जैसे ही बजट का बोझ राज्यों पर पड़ेगा, मनरेगा धीरे-धीरे बंद हो जाएगा।


विपक्ष की चिंताएं

उनका कहना था कि मनरेगा योजना गरीबों के लिए रोजगार का एक महत्वपूर्ण साधन थी, जो महामारी के दौरान भी उनके साथ थी।


उन्होंने कहा, "यह विधेयक गरीबों और मजदूरों के खिलाफ है, और हम इसका कड़ा विरोध करेंगे।"


समाजवादी पार्टी की प्रतिक्रिया

समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि विधेयक को बिना सहमति के पारित किया गया है। उन्होंने महात्मा गांधी का नाम हटाने को भाजपा की नफरत का प्रतीक बताया।


उन्होंने यह भी कहा कि इस विधेयक के कारण राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना बेकार हो जाएगी।


भाजपा का बचाव

द्रमुक सांसद कनिमोझि करुणानिधि ने कहा कि यह विधेयक ग्रामीण भारत के खिलाफ है और केंद्र सरकार तय करेगी कि किसे रोजगार मिलेगा।


भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि लगभग 10 घंटे तक चर्चा हुई और विपक्ष को बोलने का अवसर दिया गया। उन्होंने कांग्रेस के व्यवहार को संसदीय इतिहास में एक 'काले अध्याय' के रूप में वर्णित किया।


भाजपा नेता संबित पात्रा ने कहा कि यह दिन ऐतिहासिक है और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जनकल्याणकारी योजनाओं को आगे बढ़ाया गया है।