वायुसेना प्रमुख की चिंता: रक्षा परियोजनाओं में देरी और आत्मनिर्भरता की आवश्यकता
भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने रक्षा अधिग्रहण परियोजनाओं में हो रही देरी पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने अमेरिकी कंपनियों की देरी और इसके प्रभावों पर चर्चा की है, विशेष रूप से GE द्वारा इंजन की आपूर्ति में देरी के कारण। इस स्थिति ने भारत की वायुसेना की क्षमता को प्रभावित किया है, और एयर चीफ ने आत्मनिर्भरता की आवश्यकता पर जोर दिया है। जानें इस मुद्दे के विभिन्न पहलुओं और भारत की रक्षा रणनीति पर इसके प्रभाव के बारे में।
May 30, 2025, 11:40 IST
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वायुसेना प्रमुख की चिंता
भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने रक्षा अधिग्रहण परियोजनाओं में हो रही अत्यधिक देरी पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य संघर्ष के बाद यह उनकी पहली सार्वजनिक टिप्पणी है, जिसमें उन्होंने बताया कि ‘‘कोई भी परियोजना’’ समय पर पूरी नहीं हुई है। हालांकि, उन्होंने सीआईआई बिजनेस समिट में इस मुद्दे पर कोई विशेष विवरण नहीं दिया। एयर चीफ मार्शल ने सलमान खान की फिल्म 'वांटेड' के एक संवाद का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘एक बार जो हमने कमिट कर दिया है, (तो) फिर मैं अपनी आप की भी नहीं सुनता।’’ इस उद्धरण के माध्यम से उन्होंने यह स्पष्ट किया कि रक्षा परियोजनाओं में सशस्त्र बलों की प्रतिबद्धताओं का पालन होना चाहिए।
अमेरिकी कंपनियों की देरी
एयर चीफ मार्शल के बयान के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि अमेरिकी कंपनियां अपने वादों को पूरा नहीं कर रही हैं या जानबूझकर देरी कर रही हैं। उदाहरण के लिए, 2021 में भारत की HAL ने GE के साथ 716 मिलियन डॉलर का समझौता किया था, जिसमें 99 F404-IN20 इंजन देने की बात थी। प्रारंभिक डिलीवरी मार्च 2023 से शुरू होनी थी, लेकिन अब तक केवल एक इंजन ही दिया गया है। आगे की डिलीवरी योजना के अनुसार, 2025 में 11 इंजन, 2026 में 20 इंजन, और इसी तरह से आगे की डिलीवरी होनी है, लेकिन क्या यह संभव होगा, इस पर सवाल उठता है।
तेजस Mk1A की डिलीवरी में बाधा
फरवरी 2021 में भारतीय वायुसेना ने HAL को ₹48,000 करोड़ का ऑर्डर दिया था, जिसमें 83 तेजस Mk1A फाइटर जेट्स शामिल थे। GE द्वारा इंजन की आपूर्ति में देरी के कारण HAL को तेजस Mk1A की डिलीवरी रोकनी पड़ी। वर्तमान में वायुसेना को नए लड़ाकू विमानों की सख्त आवश्यकता है, जबकि भारतीय वायुसेना के पास केवल 31 स्क्वाड्रन हैं, जो 1965 के युद्ध के बाद का सबसे कम आंकड़ा है।
GE की जिम्मेदारी
इस स्थिति के लिए GE को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, जो HAL को इंजन नहीं दे रही है। कई विश्लेषकों का मानना है कि GE जानबूझकर डिलीवरी में देरी कर रही है ताकि भारत को मजबूर किया जा सके कि वह अमेरिका से F-35 फाइटर जेट खरीदे।
अमेरिका का रुख
2020 में भारतीय सेना ने अमेरिका से 6 अपाचे हेलिकॉप्टरों के लिए 600 मिलियन डॉलर का सौदा किया था, लेकिन इसकी डिलीवरी भी समय पर नहीं हुई। रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका इस तरह से भारत को कोई संदेश देना चाहता है। अमेरिका का इतिहास अन्य देशों के मामलों में हस्तक्षेप करने का रहा है, इसलिए GE इंजन और अपाचे हेलिकॉप्टर की डिलीवरी में देरी को संदेह की नजर से देखा जा रहा है।
आत्मनिर्भरता की आवश्यकता
हालांकि, अमेरिका भारत से अपनी गहरी मित्रता का दावा करता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि वह अपने हितों को प्राथमिकता देता है। हालिया भारत-पाक सैन्य संघर्ष के दौरान अमेरिका का रुख इस बात की आवश्यकता को और स्पष्ट करता है कि रक्षा क्षेत्र में हमें आत्मनिर्भरता हासिल करनी होगी।