वन नेशन, वन इलेक्शन: अर्थव्यवस्था पर संभावित प्रभावों पर चर्चा
JPC की बैठक का समापन
वन नेशन, वन इलेक्शन पर JPC की बैठक
वन नेशन, वन इलेक्शन पर आयोजित JPC की बैठक समाप्त हो गई है। इस बैठक में अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभावों पर विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। बैठक की अध्यक्षता बीजेपी सांसद पी पी चौधरी ने की। इस दौरान, देश की अर्थव्यवस्था पर एक साथ चुनाव कराने के संभावित प्रभावों पर चर्चा की गई। IMF की पूर्व डिप्टी एमडी गीता गोपीनाथ ने कहा कि इस पहल से चुनावों की संख्या में कमी आएगी, जो अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक परिणाम ला सकती है। उन्होंने इसे मैक्रोइकोनॉमिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण सुधार बताया।
गीता गोपीनाथ ने बताया कि आंकड़ों से पता चलता है कि चुनावी वर्षों में निजी निवेश पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। चुनावी साल में निजी निवेश में लगभग 5% की कमी आती है, और इसके बाद के वर्षों में भी इसकी भरपाई नहीं हो पाती। उनके अनुसार, चुनावों की संख्या में कमी से अनिश्चितता घटेगी, जिससे निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि चुनावी वर्षों में प्राइमरी डेफिसिट बढ़ता है और कैपिटल एक्सपेंडिचर में कमी आती है। इस प्रकार, एक साथ चुनाव कराने से सरकारी खर्च की दक्षता में सुधार हो सकता है।
#WATCH | Delhi | Members of the Joint Parliamentary Committee (JPC) on ‘One Nation One Election’ held a meeting inside the Parliament today, chaired by BJP MP and JPC Chairperson PP Chaudhary.
(Video Source: Office of PP Chaudhary) pic.twitter.com/2jyRu6rtrC
— ANI (@ANI) December 17, 2025
GDP में संभावित वृद्धि
उन्होंने बताया कि इन सभी कारकों के संयुक्त प्रभाव से GDP में 1.5% तक की वृद्धि संभव है। गीता गोपीनाथ ने कहा कि वन नेशन, वन इलेक्शन केवल चुनावी सुधार नहीं, बल्कि एक मजबूत आर्थिक सुधार भी है।
चुनावों की संख्या में कमी
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने कहा कि वन नेशन, वन इलेक्शन से चुनावों की संख्या में कमी आएगी, जिससे लागत में भी कमी आएगी। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल पैसे की बचत ही इसका मुख्य कारण नहीं है। उनके अनुसार, अलग-अलग समय पर होने वाले चुनावों से अर्थव्यवस्था पर अप्रत्यक्ष लेकिन गंभीर प्रभाव पड़ता है।
बार-बार चुनाव होने से नीतिगत निरंतरता बाधित होती है, और नेतृत्व का ध्यान चुनावी प्रचार में चला जाता है। संजीव सान्याल ने कहा कि वन नेशन, वन इलेक्शन से केंद्र और राज्यों के मुद्दों पर एक साथ चर्चा संभव होगी, जिससे नीति निर्माण में निरंतरता आएगी।
सरकारी स्थिरता में वृद्धि
उन्होंने यह भी कहा कि इससे सरकारी स्थिरता बढ़ेगी, जो दीर्घकालिक फैसलों और नीति नियोजन को मजबूत करेगी। कुल मिलाकर, JPC बैठक में विशेषज्ञों ने ONOE को चुनावी व्यवस्था के साथ-साथ आर्थिक स्थिरता और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण सुधार बताया।
