वंदेमातरम्: 150 वर्षों का राष्ट्रगीत और इसकी महत्ता

इस वर्ष वंदेमातरम् गीत की रचना को 150 वर्ष पूरे हो गए हैं। यह गीत न केवल देशभक्ति का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति और एकता का आधार भी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस अवसर पर सभी से अपील करता है कि वे इस प्रेरणादायक गीत की भावना को अपने जीवन में उतारें और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भाग लें। जानें इस गीत का ऐतिहासिक महत्व और इसके पीछे की प्रेरणा।
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वंदेमातरम्: 150 वर्षों का राष्ट्रगीत और इसकी महत्ता

वंदेमातरम् का ऐतिहासिक महत्व

मातृभूमि की आराधना और राष्ट्र जीवन में चेतना का संचार करने वाले अद्भुत गीत "वंदेमातरम्" की रचना को 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ श्रद्धेय बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय को कृतज्ञता के साथ स्मरण करता है। इस गीत की रचना 1875 में हुई थी, और इसे 1896 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में राष्ट्रकवि रविंद्रनाथ ठाकुर ने प्रस्तुत किया, जिसने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। तब से यह गीत न केवल देशभक्ति का प्रतीक बना, बल्कि राष्ट्रीय उद्घोष और राष्ट्र की आत्मा की ध्वनि भी बन गया।


स्वाधीनता संग्राम में वंदेमातरम् का योगदान

बँग-भंग आंदोलन और भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सभी सेनानियों का घोष मंत्र "वंदेमातरम्" बन गया। इस महामंत्र की व्यापकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कई विद्वानों और महापुरुषों जैसे महर्षि श्रीअरविंद, मैडम भीकाजी कामा, महाकवि सुब्रमण्यम भारती, लाला हरदयाल, और लाला लाजपत राय ने अपने पत्रों में इसका उल्लेख किया। महात्मा गांधी भी अपने पत्रों का समापन "वंदेमातरम्" के साथ करते रहे।


वंदेमातरम् की प्रेरणा

"वंदेमातरम्" राष्ट्र की आत्मा का गान है, जो सभी को प्रेरित करता है। यह गीत 150 वर्षों के बाद भी समाज को राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना से भरपूर करने की क्षमता रखता है। आज जब विभाजन की प्रवृत्तियाँ बढ़ रही हैं, तब "वंदेमातरम्" एकता का सूत्र बन सकता है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों, समाजों और भाषाओं में इसकी स्वीकृति है। यह आज भी राष्ट्रीय चेतना, सांस्कृतिक पहचान और एकात्मता का मजबूत आधार है।


आह्वान और कार्यक्रम

"वंदेमातरम्" गीत की रचना के 150 वर्ष पूरे होने के इस विशेष अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सभी स्वयंसेवकों और समाज से अपील करता है कि वे वंदेमातरम् की प्रेरणा को अपने हृदय में जागृत करें और राष्ट्र निर्माण के कार्यों में सक्रिय भाग लें। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में उत्साहपूर्वक भागीदारी करें।