वंदे मातरम् के 150 वर्ष: छत्तीसगढ़ विधानसभा में विशेष चर्चा

छत्तीसगढ़ विधानसभा में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर आयोजित विशेष चर्चा में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस राष्ट्रगीत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को उजागर किया। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इसके योगदान और बलिदानियों की याद दिलाई। मुख्यमंत्री ने बताया कि वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि यह देशभक्ति और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है। इस चर्चा का उद्देश्य नई पीढ़ी को राष्ट्रप्रेम और ऐतिहासिक चेतना से जोड़ना है।
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वंदे मातरम् के 150 वर्ष: छत्तीसगढ़ विधानसभा में विशेष चर्चा

मुख्यमंत्री का संबोधन

रायपुर
वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में छत्तीसगढ़ विधानसभा में आयोजित विशेष चर्चा में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने इस राष्ट्रगीत के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् देशभक्ति का प्रतीक था, जिसकी गूंज से ब्रिटिश शासन भी थर्रा उठता था। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, यह गीत करोड़ों भारतीयों में साहस, बलिदान और त्याग की भावना को प्रज्वलित करता रहा। यह वही स्वर था जिसने गुलामी की जंजीरों को तोड़ने की प्रेरणा दी।

मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम के महान शहीदों को याद करते हुए कहा कि भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और खुदीराम बोस जैसे अनेक क्रांतिकारी वंदे मातरम् का जयघोष करते हुए मां भारती के लिए फांसी के फंदे पर चढ़ गए। उनका बलिदान आज भी हर भारतीय को अपने कर्तव्यों की याद दिलाता है। श्री साय ने कहा कि वंदे मातरम् की गौरव गाथा का स्मरण करना हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है। यह गीत हमें उस संघर्ष और साहस की याद दिलाता है, जिसने भारत को स्वतंत्रता दिलाई। यह हमारी राष्ट्रीय चेतना का आधार है।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि किसी राष्ट्र की पहचान केवल उसकी भौगोलिक सीमाओं से नहीं होती, बल्कि उसकी सभ्यता, संस्कृति और परंपराओं से होती है। भारत की सांस्कृतिक निरंतरता विश्व में अद्वितीय है।

उन्होंने विधानसभा में वंदे मातरम् पर चर्चा आयोजित करने का उद्देश्य बताते हुए कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि हम इतिहास की उन गलतियों को न भूलें, जिन्होंने देश को गहरे घाव दिए। इतिहास से सीख लेकर ही हम एक सशक्त और समरस भारत का निर्माण कर सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के सभी वीर सपूतों को नमन किया, जिन्होंने वंदे मातरम् के भाव को अपने जीवन का लक्ष्य बनाकर भारत माता के लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् हमें हमारी विरासत और सांस्कृतिक चेतना से जोड़ता है। यह उन आदर्शों की सामूहिक अभिव्यक्ति है, जिन्हें हमने सदियों से आत्मसात किया है।

उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में धरती को माता के रूप में पूजा जाता है, जिसे हम मातृभूमि कहते हैं। वंदे मातरम् इसी भावना का पवित्र स्वरूप है, जो हमें प्रकृति, भूमि और राष्ट्र के प्रति सम्मान और कर्तव्यबोध सिखाता है।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने राष्ट्रगीत वंदे मातरम् की 150वीं जयंती के अवसर पर इस विशेष चर्चा के आयोजन के लिए विधानसभा अध्यक्ष और सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ऐसे विमर्श नई पीढ़ी को राष्ट्रप्रेम, सांस्कृतिक गौरव और ऐतिहासिक चेतना से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।