वंदे मातरम के 150 वर्ष: सांस्कृतिक जागरूकता का महोत्सव

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने वंदे मातरम के 150वें वर्ष के उपलक्ष्य में एक महोत्सव की घोषणा की है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य वंदे मातरम की सांस्कृतिक और राष्ट्रीय भावना को जन-जन तक पहुँचाना है। कार्यक्रम के चार चरण होंगे, जिसमें सामूहिक गायन और युवा भागीदारी शामिल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर वंदे मातरम को मातृभूमि के प्रति समर्पण का प्रतीक बताया। जानें इस महोत्सव के बारे में और कैसे यह देश की एकता को बढ़ावा देगा।
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वंदे मातरम के 150 वर्ष: सांस्कृतिक जागरूकता का महोत्सव

केंद्र सरकार का वंदे मातरम को बढ़ावा देने का संकल्प

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने शुक्रवार को घोषणा की कि केंद्र सरकार वंदे मातरम की सांस्कृतिक और राष्ट्रीय भावना को हर नागरिक तक पहुँचाने का प्रयास करेगी। यह पहल गणतंत्र दिवस पर एक भव्य कार्यक्रम के साथ समाप्त होगी। वंदे मातरम के 150वें वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि इसका पहला चरण 7 से 14 नवंबर तक चलेगा, जिसे उद्घाटन सप्ताह कहा जाएगा। इस दौरान, वंदे मातरम का पहला प्रकाशन 1875 में बंग दर्शन में हुआ था, जब आनंदमठ पुस्तक के विभिन्न भागों का प्रकाशन हो रहा था। इस ऐतिहासिक अवसर पर, पूरे देश में सामूहिक रूप से वंदे मातरम का गायन करने का प्रयास किया जाएगा। 


आध्यात्मिक जागृति के माध्यम से राष्ट्रीय एकता

मंत्री ने आगे बताया कि "आध्यात्मिक जागृति" के माध्यम से राष्ट्रीय एकता को समर्पित कार्यक्रम दूसरे चरण में 19 से 26 नवंबर तक पूरे देश में आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि हम वंदे मातरम की भावना को जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास करेंगे, जिसका समापन गणतंत्र दिवस पर एक भव्य समारोह के रूप में होगा। तीसरा चरण, 7 से 15 अगस्त तक, स्वदेशी के माध्यम से "स्वतंत्रता की गाथा" को समर्पित होगा।


स्वदेशी आंदोलन का जश्न

शेखावत ने कहा कि हम 1905 में शुरू हुए स्वदेशी आंदोलन का जश्न मनाएंगे और इसे स्वतंत्रता दिवस से जोड़कर उस ऐतिहासिक भावना का जश्न मनाएंगे। चौथा और अंतिम चरण, जो अगले साल 1 से 7 नवंबर तक होगा, में सामूहिक गायन और युवा भागीदारी प्रदर्शनियों के माध्यम से वंदे मातरम को अपने मंत्र के रूप में अपनाया जाएगा। इस अवसर पर वंदे मातरम को समर्पित एक पोर्टल भी लॉन्च किया जाएगा, जहाँ हम अपनी आवाज़ में वंदे मातरम गाकर उसे अपलोड करने का प्रयास करेंगे।


प्रधानमंत्री का संदेश

इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वंदे मातरम को "मंत्र, ऊर्जा, स्वप्न और संकल्प" बताया और देश की स्थापना के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में राष्ट्र का नेतृत्व किया। उन्होंने कहा कि यह गीत मातृभूमि के प्रति समर्पण और आराधना का प्रतीक है, जो आने वाली पीढ़ियों को देशभक्ति और गौरव की भावना से प्रेरित करेगा।