वंदे मातरम के 150 वर्ष: राजनीतिक विवाद और सांस्कृतिक पहचान

वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाते हुए, यह ऐतिहासिक गीत एक बार फिर राजनीतिक चर्चाओं का केंद्र बन गया है। भाजपा इसे राष्ट्रभक्ति का पर्व मानती है, जबकि कांग्रेस और अन्य दलों के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के सामूहिक गायन कार्यक्रम से लेकर विभिन्न राज्यों में उठते विवादों तक, यह गीत आज राजनीति, आस्था और पहचान की बहस का हिस्सा बन चुका है। जानें इस गीत का ऐतिहासिक महत्व और वर्तमान संदर्भ में इसकी भूमिका।
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वंदे मातरम के 150 वर्ष: राजनीतिक विवाद और सांस्कृतिक पहचान

वंदे मातरम का जश्न और राजनीतिक विवाद

भारत इस समय वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने का उत्सव मना रहा है, लेकिन इस ऐतिहासिक गीत ने एक बार फिर राजनीतिक चर्चाओं को जन्म दिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इसे राष्ट्रभक्ति का पर्व मान रही है, जबकि कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय दलों के बीच इस पर विवाद बढ़ता जा रहा है।


प्रधानमंत्री का सामूहिक गायन कार्यक्रम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में वंदे मातरम के पूरे संस्करण का सामूहिक गायन कार्यक्रम में भाग लेंगे। यह आयोजन देशभर के 150 ऐतिहासिक स्थलों से जुड़ा हुआ है और 26 नवंबर, संविधान दिवस तक चलेगा। भाजपा इसे 'राष्ट्रवाद का उत्सव' कह रही है।


भाजपा का कांग्रेस पर आरोप

भाजपा प्रवक्ता सी.आर. केसवन ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि उसने वंदे मातरम के मूल स्वरूप में बदलाव किया था। उनका कहना है कि 1937 में कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए जवाहरलाल नेहरू ने इसके कुछ अंश हटवा दिए थे, जिनमें देवी दुर्गा का उल्लेख था। केसवन ने यह भी कहा कि नेहरू ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस को लिखे पत्रों में कहा था कि वंदे मातरम मुसलमानों को 'उकसा सकता' है, इसलिए इसे राष्ट्रीय गीत के रूप में उपयुक्त नहीं माना गया।


पश्चिम बंगाल में नया विवाद

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा राज्य के लिए एक अलग राज्य गीत बनाने की घोषणा के बाद नया विवाद उत्पन्न हुआ है। भाजपा नेता दिलीप घोष ने कहा कि वंदे मातरम बंगाल की धरती पर लिखा गया है, इसलिए किसी 'राज्य गीत' की आवश्यकता नहीं है।


महाराष्ट्र में विवाद बढ़ता है

महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आसिम आज़मी के वंदे मातरम गाने से इनकार करने पर विवाद और बढ़ गया है। आज़मी ने कहा कि यह उनके धार्मिक सिद्धांतों के खिलाफ है। भाजपा मंत्री मंगल प्रभात लोढा ने घोषणा की कि वे आज़मी और कुछ कांग्रेस विधायकों के घरों के बाहर सामूहिक गायन का आयोजन करेंगे।


राजस्थान में शिक्षा मंत्री का आदेश

राजस्थान में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने मदरसों में वंदे मातरम गाने का आदेश दिया है। कांग्रेस ने इस निर्णय का विरोध करते हुए कहा कि भाजपा एक 'निरर्थक विषय' को राजनीतिक रंग दे रही है।


वंदे मातरम का ऐतिहासिक महत्व

बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 1875 में वंदे मातरम की रचना की थी, और 1896 में रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे सार्वजनिक रूप से गाया। यह गीत स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान देशभक्ति का प्रतीक बना और 1950 में इसे राष्ट्रगीत का दर्जा मिला।


वर्तमान संदर्भ में वंदे मातरम

आज जब देश इसका 150वां वर्ष मना रहा है, यह गीत, जिसने कभी भारत को आज़ादी की लड़ाई में एक सूत्र में पिरोया था, अब राजनीति, आस्था और पहचान की नई बहस का हिस्सा बन गया है। यह विवाद देश की विविधता और लोकतांत्रिक सोच की परीक्षा लेता है, लेकिन इसके बावजूद लोगों के दिलों में इसकी भावनात्मक जगह अब भी गहरी बनी हुई है।