लोकसभा में वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर विशेष चर्चा
वंदे मातरम पर विशेष चर्चा का आयोजन
लोकसभा में भारत की प्रमुख देशभक्ति रचनाओं में से एक, वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक विशेष चर्चा का आयोजन किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस चर्चा की शुरुआत करेंगे, जो 7 नवंबर से शुरू होने वाले एक साल के राष्ट्रीय उत्सव का हिस्सा है। इस चर्चा में 10 घंटे की समयावधि निर्धारित की गई है। कई वरिष्ठ नेताओं के भाग लेने की संभावना है। इस सत्र में इस गीत की उत्पत्ति, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इसका महत्व और भारत की सांस्कृतिक पहचान पर इसके स्थायी प्रभाव पर चर्चा की जाएगी।
गर्व का क्षण: चंद्रशेखर आज़ाद
दलित नेता और आज़ाद समाज पार्टी के सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने वंदे मातरम पर चर्चा को गर्व का क्षण बताया। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस पर सकारात्मक चर्चा होगी। उन्होंने यह भी कहा कि कई मुद्दे हैं जिन पर चर्चा होनी चाहिए और यह हमारा राष्ट्रीय गीत है, जिसे गाते समय हमें गर्व महसूस होता है।
नेहरू के समय में वंदे मातरम से पंक्तियाँ हटाई गईं
भाजपा सांसद अरुण गोविल ने वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान कहा कि यह राष्ट्रीय गीत के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास है। उन्होंने बताया कि नेहरू के समय में देवी-देवताओं को समर्पित कुछ पंक्तियाँ हटा दी गई थीं। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर बहस आवश्यक है, क्योंकि वंदे मातरम पर कई बार सवाल उठाए गए हैं।
कांग्रेस सांसद का विरोधाभास
कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने संसद में वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर चर्चा को लेकर विरोधाभास जताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इस पर चर्चा करेंगे, लेकिन राज्यसभा सचिवालय के बुलेटिन में उल्लेख किया गया है कि वंदे मातरम गाना संसद की मर्यादा के खिलाफ है।
