लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान विपक्ष का हंगामा

लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान विपक्षी सांसदों ने जोरदार नारेबाजी की, जिसके चलते सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन की गरिमा को बनाए रखने की अपील की, लेकिन विपक्ष ने अपनी मांगों को लेकर हंगामा जारी रखा। जानें इस घटनाक्रम के पीछे की वजह और सदन में क्या हुआ।
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लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान विपक्ष का हंगामा

सदन की कार्यवाही में बाधा

लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा शुरू होने से पहले, विपक्षी सांसदों ने जोरदार नारेबाजी की। इसके परिणामस्वरूप, सदन की कार्यवाही दोपहर 1:00 बजे तक स्थगित कर दी गई। लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि पहले आप ऑपरेशन सिंदूर पर बहस की मांग करते हैं, फिर सदन में वेल में आते हैं। यदि आप चर्चा में भाग लेना चाहते हैं, तो कृपया अपनी सीटों पर बैठें। क्या आप ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करना चाहते हैं या नहीं?... क्या मुझे सदन की कार्यवाही स्थगित कर देनी चाहिए?


 


इससे पहले, प्रश्नकाल के दौरान, अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि विपक्षी सदस्य जानबूझकर सदन की कार्यवाही में बाधा डाल रहे हैं। उन्होंने विपक्ष के नेता राहुल गांधी से अनुरोध किया कि वे अपने सदस्यों को पोस्टर न दिखाने के लिए कहें। उन्होंने कहा कि इस प्रकार का विरोध प्रदर्शन सदन की गरिमा को नुकसान पहुँचा रहा है। अध्यक्ष ने कहा कि सदस्यों को प्रश्नकाल में बोलने नहीं दिया जा रहा है और देश की जनता सब देख रही है, और जानबूझकर सदन की कार्यवाही बाधित की जा रही है।


 


जब सदन की बैठक शुरू हुई, तो जैसे ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रश्नकाल आरंभ किया, विपक्षी दलों के सदस्य ‘एसआईआर वापस लो’ के नारे लगाने लगे। बिरला ने कहा, ‘‘क्या आप सदन को बाधित करना चाहते हैं, क्या आप ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा नहीं करना चाहते? आप लोग आए थे और कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा होनी चाहिए... अब सदन क्यों नहीं चलने दे रहे?’’ उन्होंने राहुल गांधी से कहा, ‘‘माननीय नेता प्रतिपक्ष, आप अपने नेताओं को समझाएं कि उन्हें सदन में पर्चियां फेंकने और तख्तियां लाने के लिए नहीं भेजा गया है।’’ 


 


लोकसभा अध्यक्ष ने नारेबाजी कर रहे सांसदों से कहा, ‘‘आप जानबूझकर सदन को बाधित कर रहे हैं, संसद की गरिमा को गिरा रहे हैं, आप सदन में चर्चा नहीं कराना चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा कि देश जानना चाहता है कि क्या आप जानबूझकर प्रश्नकाल नहीं चलाना चाहते? बिरला ने कहा, ‘‘प्रश्नकाल में माननीय सदस्यों को बोलने नहीं दिया जा रहा है। यह तरीका उचित नहीं है... सदन सबका है। यह देश की 140 करोड़ जनता की अभिव्यक्ति की सर्वोच्च संस्था है।