लोकसभा अध्यक्ष ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ जांच समिति का गठन किया

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति में न्यायमूर्ति अमित कुमार, न्यायमूर्ति मनिंदर मोहन श्रीवास्तव और बी बी आचार्य शामिल हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति वर्मा की याचिका को खारिज करते हुए आंतरिक जांच प्रक्रिया को मान्यता दी है। यह मामला तब सामने आया जब उनके आवास पर आग लगने के बाद जले हुए नोट बरामद हुए थे। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और ताजा अपडेट।
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लोकसभा अध्यक्ष ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ जांच समिति का गठन किया

जांच समिति का गठन

लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को यह जानकारी दी कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति बनाई गई है। समिति में न्यायमूर्ति अमित कुमार, न्यायमूर्ति मनिंदर मोहन श्रीवास्तव और बी बी आचार्य शामिल हैं। बिरला ने 146 सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित प्रस्ताव को स्वीकार किया है, जिसमें न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की मांग की गई थी।


सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय

सर्वोच्च न्यायालय ने 7 अगस्त, 2025 को कहा था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा, जिनके आवास पर आग लगने के बाद जले हुए नोट मिले थे, को हटाने की सिफारिश करने वाली आंतरिक जांच प्रक्रिया को कानूनी मान्यता प्राप्त है। सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति वर्मा द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट और पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की सिफारिश को चुनौती दी थी। यह आग की घटना तब हुई थी जब वे दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे।


आग की घटना और सुनवाई

इससे पहले, 7 अगस्त को, सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट और महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की सिफारिश को चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने यह निर्णय लिया। न्यायमूर्ति वर्मा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पेशी दी।


आग लगने की घटना

यह मामला 14 मार्च को उनके दिल्ली स्थित आवास पर आग लगने के बाद सामने आया, जब दमकल गाड़ियों ने वहां से नकदी बरामद की थी। उस समय न्यायमूर्ति वर्मा अपने घर पर मौजूद नहीं थे। 28 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान, सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति वर्मा की याचिका पर कई सवाल पूछे थे।


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