लोकपाल ने माधवी पुरी बुच के खिलाफ शिकायतें खारिज कीं
लोकपाल ने सेबी की पूर्व प्रमुख माधवी पुरी बुच के खिलाफ हितों के टकराव की शिकायतों को खारिज कर दिया है। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट पर आधारित इन आरोपों को निराधार बताते हुए लोकपाल ने कहा कि इनके समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं हैं। इस निर्णय में लोकपाल ने स्पष्ट किया कि शिकायतकर्ताओं ने स्वतंत्र रूप से आरोपों को स्पष्ट करने का प्रयास किया, लेकिन ये प्रमाणिक नहीं पाए गए। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और लोकपाल के आदेश के पीछे की वजहें।
May 29, 2025, 13:21 IST
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लोकपाल का निर्णय
करप्शन से संबंधित शिकायतों की जांच करने वाली संस्था लोकपाल ने सेबी की पूर्व प्रमुख माधवी पुरी बुच के खिलाफ हितों के टकराव के आरोपों को खारिज कर दिया है। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट पर आधारित इन आरोपों को लोकपाल ने निराधार बताया और कहा कि इनके समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं हैं। लोकपाल की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस ए एम खानविलकर की अगुवाई में बनी छह सदस्यीय पीठ ने कहा कि शिकायतों का निपटारा किया गया है। आदेश में यह भी कहा गया कि शिकायतकर्ताओं ने स्वतंत्र रूप से आरोपों को स्पष्ट करने का प्रयास किया, लेकिन हमारे विश्लेषण से यह स्पष्ट हुआ कि ये प्रमाणिक नहीं हैं। लोकपाल ने पहले के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट को बुच के खिलाफ कार्रवाई का एकमात्र आधार नहीं माना जा सकता। बुच अपने कार्यकाल के बाद 28 को पद से हट गई थीं।
मामले का विवरण
क्या है पूरा मामला
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा दायर की गई शिकायतों में 10 अगस्त, 2024 को जारी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट का उल्लेख है। इस रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि बुच और उनके पति के पास कुछ अस्पष्ट ऑफशोर फंडों में हित थे, जो कथित तौर पर अडानी समूह से जुड़े एक मनी-साइफनिंग घोटाले में शामिल थे। लोकपाल ने कहा कि ये शिकायतें एक ज्ञात शॉर्ट सेलर ट्रेडर की रिपोर्ट पर आधारित थीं, जिसका उद्देश्य अडानी ग्रुप ऑफ़ कंपनीज़ को उजागर करना था।
आरोपों का खंडन
आरोपों का जवाब
बुच और अडानी समूह ने इन आरोपों का खंडन किया है। बुच ने इन दावों को पूंजी बाजार नियामक की विश्वसनीयता को नुकसान पहुँचाने का प्रयास बताया, जबकि अडानी समूह ने इन्हें “दुर्भावनापूर्ण” और “चुनिंदा सार्वजनिक सूचनाओं में हेरफेर” करार दिया। बुच ने 28 फरवरी, 2025 को सेबी प्रमुख के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया और लोकपाल के नोटिस का जवाब देने के लिए एक विस्तृत हलफनामा प्रस्तुत किया। 7 दिसंबर, 2024 को दायर हलफनामे में सभी आरोपों का जवाब दिया गया और प्रारंभिक कानूनी आपत्तियां उठाई गईं।
लोकपाल का आदेश
लोकपाल ने अपने आदेश में क्या कहा
लोकपाल ने पहले बुच को 8 नवंबर, 2024 को शिकायतों पर जवाब देने के लिए कहा था। अपने नवीनतम आदेश में, लोकपाल अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अकेले हिंडनबर्ग रिपोर्ट जांच शुरू करने का औचित्य नहीं दे सकती। आदेश में कहा गया है कि शिकायतकर्ता(ओं) ने इस स्थिति के बारे में सचेत होने के कारण कथित रिपोर्ट से स्वतंत्र आरोपों को स्पष्ट करने का प्रयास किया, लेकिन हमारे द्वारा आरोपों का विश्लेषण करने पर यह निष्कर्ष निकला कि वे अपुष्ट, निराधार और तुच्छता की सीमा पर हैं। इन टिप्पणियों के साथ, लोकपाल पीठ ने औपचारिक रूप से शिकायतों का निपटारा कर दिया, जिससे मामले से संबंधित कार्यवाही समाप्त हो गई।