लेडी मेहरबाई टाटा: टाटा स्टील की संकटमोचक

टाटा समूह और लेडी मेहरबाई का योगदान

टाटा समूह, जो मुंबई में स्थित एक प्रमुख निजी व्यवसायिक समूह है, में ‘टिस्को’ कंपनी भी शामिल है। एक समय ऐसा आया जब टाटा स्टील कंपनी की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई थी। इस संकट के समय, एक महिला ने कंपनी को संकट से बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आइए जानते हैं कि वह महिला कौन थी और उसने टाटा स्टील को कैसे बचाया।
लेडी मेहरबाई टाटा का परिचय
यह कहानी लेडी मेहरबाई टाटा की है, जिनके योगदान के कारण टाटा स्टील को आज की पहचान मिली है। बहुत से लोग उन्हें नहीं जानते होंगे, लेकिन उन्हें भारत की पहली नारीवादी प्रतीकों में से एक माना जाता है। लेडी मेहरबाई ने बाल विवाह उन्मूलन, महिला मताधिकार, और लड़कियों की शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए।
कैसे बचाई लेडी मेहरबाई ने टाटा स्टील?
हरीश भट्ट अपनी पुस्तक 'टाटा स्टोरीज' में बताते हैं कि कैसे लेडी मेहरबाई ने टाटा स्टील को बचाने के लिए अपने व्यक्तिगत धन का उपयोग किया। सर दोराबजी टाटा ने अपनी पत्नी के लिए लंदन के व्यापारियों से एक बड़ा जुबली हीरा खरीदा था। जब 1924 में टाटा स्टील को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा, तो लेडी मेहरबाई ने अपनी सम्पत्ति गिरवी रखकर कंपनी के लिए फंड जुटाने का निर्णय लिया।
लेडी मेहरबाई का सामाजिक योगदान
टाटा समूह के अनुसार, सर दोराबजी टाटा की मृत्यु के बाद जुबली हीरा बेचा गया था। लेडी मेहरबाई ने बाल विवाह प्रतिबंध अधिनियम के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने महिलाओं के लिए समान राजनीतिक स्थिति की मांग की और भारतीय महिला लीग संघ की अध्यक्षता की।
खेल और साहसिकता में लेडी मेहरबाई
लेडी मेहरबाई टाटा टेनिस की शौकीन थीं और ओलंपिक में खेलने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। उन्होंने अपने सभी मैच पारसी साड़ी पहनकर खेले। इसके अलावा, वह 1912 में जेपेलिन एयरशिप पर सवार होने वाली पहली भारतीय महिला भी थीं।