लीवर सिरोसिस: लक्षण, कारण और रोकथाम के उपाय

लीवर सिरोसिस एक गंभीर स्थिति है जिसे 'साइलेंट किलर' कहा जाता है। यह बीमारी बिना किसी स्पष्ट लक्षण के धीरे-धीरे विकसित होती है, जिससे इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है। इस लेख में, हम सिरोसिस के लक्षण, इसके कारण और उपचार के उपायों पर चर्चा करेंगे। जानें कि कैसे आप इस बीमारी से बच सकते हैं और अपने लीवर को स्वस्थ रख सकते हैं।
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लीवर सिरोसिस: लक्षण, कारण और रोकथाम के उपाय

लीवर सिरोसिस की परिभाषा

लीवर सिरोसिस: लक्षण, कारण और रोकथाम के उपाय


लीवर सिरोसिस को अक्सर 'साइलेंट किलर' कहा जाता है। इसका मुख्य कारण यह है कि यह बीमारी बिना किसी स्पष्ट लक्षण के धीरे-धीरे विकसित होती है, जिससे शुरुआती चरण में इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है। यदि इसे समय पर नहीं पहचाना गया, तो यह लीवर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।


लीवर सिरोसिस का विकास

सिरोसिस तब उत्पन्न होता है जब लीवर लगातार क्षति का सामना करता है। हालांकि लीवर खुद को ठीक करने की क्षमता रखता है, लेकिन बार-बार होने वाली चोटों के कारण नई कोशिकाएं नहीं बन पातीं। इसके परिणामस्वरूप, लीवर बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है और उसकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है।


सिरोसिस के लक्षण

इस बीमारी के सामान्य लक्षणों में भूख में कमी, वजन घटना, थकान, पेट में दर्द या असहजता, पैरों या पेट में सूजन, त्वचा और आंखों का पीला होना, त्वचा में खुजली, गहरे रंग का पेशाब और हल्के रंग का मल शामिल हैं।


सिरोसिस के कारण

अत्यधिक शराब का सेवन लीवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे सूजन होती है। हेपेटाइटिस बी का वायरल संक्रमण, यदि समय पर इलाज न किया जाए, तो सिरोसिस का खतरा बढ़ा सकता है। इसके अलावा, गलत खान-पान के कारण मोटापे और मधुमेह से ग्रस्त व्यक्तियों को भी इस बीमारी का अधिक खतरा होता है। ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस में, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलत तरीके से लीवर की कोशिकाओं पर हमला करती है, जिससे सिरोसिस विकसित होता है।


सिरोसिस का उपचार

सिरोसिस का उपचार इसके कारण और गंभीरता पर निर्भर करता है। इस स्थिति को सुधारने के लिए शराब का सेवन पूरी तरह से बंद करना, हेपेटाइटिस के लिए एंटीवायरल दवाएं लेना और एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाना आवश्यक है।


सिरोसिस से बचाव के उपाय

सिरोसिस से बचने के लिए जोखिम कारकों से दूर रहना महत्वपूर्ण है। इसमें शराब का सेवन सीमित करना, हेपेटाइटिस के खिलाफ टीकाकरण कराना, वजन को नियंत्रित रखना और नियमित रूप से लीवर की जांच कराना शामिल है।