लालू प्रसाद यादव का 78वां जन्मदिन: बिहार की राजनीति के दिग्गज का सफर
लालू प्रसाद यादव, बिहार की राजनीति के एक प्रमुख नेता, आज अपने 78वें जन्मदिन का जश्न मना रहे हैं। उनका जीवन संघर्ष और सफलता की कहानी है, जिसमें उन्होंने एक साधारण परिवार से उठकर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक का सफर तय किया। इस लेख में हम उनके जन्म, शिक्षा, राजनीतिक करियर, और उनके प्रभाव के बारे में जानेंगे। क्या लालू जैसा कोई और नेता फिर से आएगा? जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख।
Jun 11, 2025, 11:40 IST
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लालू यादव का जन्मदिन
बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले लालू प्रसाद यादव आज, 11 जून को अपने 78वें जन्मदिन का जश्न मना रहे हैं। उन्होंने भारतीय राजनीति में खासकर बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में एक अद्वितीय पहचान बनाई है, जो कि किसी भी नेता के लिए दुर्लभ होती है। लालू यादव ने एक साधारण परिवार से उठकर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक का सफर तय किया, जो संघर्ष से भरा रहा। आइए, उनके जन्मदिन के अवसर पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें जानते हैं..
जन्म और शिक्षा
लालू यादव का जन्म 11 जून 1948 को बिहार के गोपालगंज में हुआ। उनका छात्र जीवन सामान्य था, लेकिन उनकी बुनियाद ने उन्हें भविष्य का एक बड़ा नेता बना दिया। उन्होंने गोपालगंज से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और फिर पटना कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, पटना लॉ कॉलेज से एलएलबी की डिग्री हासिल की। छात्र राजनीति में सक्रिय रहते हुए, वह बिहार छात्र संघ के महासचिव बने, और यहीं से उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई।
क्लर्क की नौकरी
1970 में, केवल 22 वर्ष की आयु में लालू यादव ने राजनीति में कदम रखा। उस समय किसी को नहीं पता था कि यह युवा नेता बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव लाएगा। उनकी पहली नौकरी बिहार के पशु चिकित्सा कॉलेज में क्लर्क के रूप में थी, लेकिन उन्होंने जल्दी ही इस नौकरी को छोड़कर पूरी तरह से राजनीति में सक्रिय हो गए।
जेपी आंदोलन का प्रभाव
लालू यादव का राजनीतिक कद उस समय बढ़ा जब उन्होंने जेपी आंदोलन में भाग लिया। यह आंदोलन उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। 1977 में आपातकाल के बाद हुए आम चुनाव में, उन्होंने पहली बार 29 वर्ष की आयु में लोकसभा में प्रवेश किया और इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में
1990 में, लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री बने। उनके शासन को सामाजिक न्याय और पिछड़ों की भागीदारी का युग माना गया। हालांकि, चारा घोटाले जैसी घटनाओं ने उनके राजनीतिक जीवन पर धब्बा लगाया। वह एक ऐसे नेता रहे जो अपने निर्णयों और जमीनी राजनीति के लिए जाने जाते थे। उनके अनोखे अंदाज, बोलचाल और हास्य शैली ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बना दिया।
शादी और परिवार
1973 में, लालू यादव ने राबड़ी देवी से विवाह किया। यह रिश्ता न केवल पारिवारिक बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण साबित हुआ। जब चारा घोटाले के आरोप में उन्हें जेल जाना पड़ा, तब उनकी पत्नी राबड़ी देवी ने मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली। यह घटना साबित करती है कि राजनीति में रिश्ते भी एक महत्वपूर्ण हथियार हो सकते हैं।
लालू यादव की विरासत
हालांकि 78 वर्ष की आयु में लालू यादव अब राजनीति में उतने सक्रिय नहीं हैं, लेकिन उनका अंदाज, छवि और प्रभाव आज भी बिहार की राजनीति में जीवित हैं। उन्होंने राजनीति को न केवल जिया, बल्कि उसे अपने तरीके से आकार भी दिया। यह सवाल हमेशा उठता है कि क्या लालू जैसा कोई और नेता फिर से आएगा। उनका राजनीतिक सफर एक ऐसी मिसाल है जिसमें विवाद, संघर्ष, लोकप्रियता, हास्य और नेतृत्व सभी शामिल हैं।