लालकृष्ण आडवाणी का 98वां जन्मदिन: भारतीय राजनीति के स्तंभ
जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि
भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य और पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी आज, 08 नवंबर को अपने 98वें जन्मदिन का जश्न मना रहे हैं। उन्हें भारतीय राजनीति के सबसे प्रतिष्ठित और दूरदर्शी नेताओं में से एक माना जाता है। उनका जीवन समर्पण, सिद्धांत और देशभक्ति का प्रतीक है। आडवाणी की राजनीतिक यात्रा भारतीय जनसंघ और भाजपा के विकास की कहानी को दर्शाती है। आइए, उनके जन्मदिन के अवसर पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प जानकारियों पर नजर डालते हैं।
शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 08 नवंबर 1927 को पाकिस्तान के कराची में हुआ। उनके पिता का नाम किशनचंद आडवाणी और मां का नाम ज्ञानी देवी था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कराची के सेंट पैट्रिक हाई स्कूल से प्राप्त की और बाद में हैदराबाद के सिंध प्रांत में डीजी नेशनल स्कूल में दाखिला लिया।
राजनीतिक करियर
आडवाणी ने छात्र जीवन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ना शुरू किया। 1947 में उन्होंने राजस्थान में RSS की गतिविधियों का नेतृत्व किया। 1951 में, जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना की, तो आडवाणी को राजस्थान में पार्टी की इकाई का सचिव नियुक्त किया गया। वह 1970 तक इस पद पर बने रहे और फिर दिल्ली चले आए।
भाजपा के निर्माण में योगदान
लालकृष्ण आडवाणी, जो भाजपा के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहे, ने लगभग तीन दशकों का संसदीय अनुभव प्राप्त किया है। उन्हें भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है। उन्हें पार्टी का कर्णधार, लौह पुरुष और असली चेहरा कहा गया है।
राम मंदिर आंदोलन
राम मंदिर में भगवान श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा के समय आडवाणी काफी चर्चा में रहे। उन्होंने 1990 में राम रथ यात्रा निकाली, जो सोमनाथ से अयोध्या तक गई। इस दौरान उन्हें गिरफ्तार किया गया, जिससे उनकी राजनीतिक स्थिति और मजबूत हुई। उनकी लोकप्रियता इस घटना के बाद चरम पर पहुंच गई।
उप-प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का कार्यकाल
आडवाणी 1999 से 2004 तक भारत के गृहमंत्री रहे। 1999 में, उन्होंने 13वीं लोकसभा के आम चुनाव में चौथी बार जीत हासिल की। इसके बाद, वह अक्टूबर 1999 से मई 2004 तक गृहमंत्री और 29 जून 2002 से मई 2004 तक उप-प्रधानमंत्री रहे।
सम्मान और पुरस्कार
लालकृष्ण आडवाणी को 2024 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा गया। इससे पहले, 2015 में उन्हें 'पद्म विभूषण' जैसे दूसरे बड़े नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया था। वह भारतीय जनता पार्टी के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहने वाले नेता हैं।
