लद्दाख में हिंसा के बाद सोनम वांगचुक के एनजीओ का एफसीआरए लाइसेंस रद्द
केंद्र सरकार ने लद्दाख में हालिया हिंसा के बाद सोनम वांगचुक के एनजीओ, SECMOL, का एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया है। गृह मंत्रालय ने आरोप लगाया है कि वांगचुक का एनजीओ विदेशी चंदा नियमों का उल्लंघन कर रहा था। इस कार्रवाई के पीछे वांगचुक के वित्तीय कदाचार के रिकॉर्ड और मनी लॉन्ड्रिंग की आशंकाएं हैं। जानें इस मामले की पूरी कहानी और लद्दाख में चल रहे प्रदर्शन के बारे में।
Sep 25, 2025, 19:52 IST
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सोनम वांगचुक के एनजीओ पर कार्रवाई
केंद्र सरकार ने गुरुवार को सोनम वांगचुक के एनजीओ, स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL), का एफसीआरए लाइसेंस तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिया। यह निर्णय लद्दाख में हाल ही में हुई हिंसा के बाद लिया गया, जिसमें चार लोगों की जान गई और कई अन्य घायल हुए। गृह मंत्रालय ने अपने आदेश में बताया कि वांगचुक का एनजीओ विदेशी चंदा नियमों का 'बार-बार' उल्लंघन कर रहा था। मंत्रालय ने यह भी कहा कि वांगचुक के व्यक्तिगत और संयुक्त खातों में धन का प्रवाह एफसीआरए 2010 का सीधा उल्लंघन है। इसके अलावा, उनके एनजीओ को 2021 से 2024 के बीच विदेशों से करोड़ों रुपये प्राप्त हुए, जिससे संभावित मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका बढ़ गई, क्योंकि ये धन अज्ञात संस्थाओं को भेजे गए थे。
वित्तीय कदाचार के आरोप
गृह मंत्रालय ने कहा कि सोनम वांगचुक खुद को जनता का प्रतिनिधि मानते हैं, लेकिन उनके वित्तीय कदाचार के रिकॉर्ड ने कुछ और ही संकेत दिए हैं। उनके कार्यों से रचनात्मक संवाद में बाधा उत्पन्न होने और वास्तविक मुद्दों को निजी और राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग करने का खतरा है। मंत्रालय ने यह भी बताया कि 59 वर्षीय वांगचुक के पास नौ निजी बैंक खाते हैं, जिनमें से आठ की जानकारी नहीं दी गई है। इन खातों में से कई में विदेशी धन की बड़ी मात्रा जमा है। इसके साथ ही, वांगचुक ने 2021 से 2024 के बीच अपने निजी खाते से लगभग 2.3 करोड़ रुपये विदेश भेजे हैं।
लद्दाख में हिंसा की पृष्ठभूमि
मंत्रालय ने यह भी कहा कि वांगचुक को 2018 से 2024 के बीच विभिन्न खातों में 1.68 करोड़ रुपये का विदेशी धन प्राप्त हुआ। वह कॉर्पोरेट क्षेत्र की आलोचना करते हैं, लेकिन केंद्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रमों सहित विभिन्न कॉर्पोरेट संस्थाओं से कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के तहत भारी धनराशि प्राप्त करते हैं। लद्दाख में हाल की हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई और 40 पुलिसकर्मियों समेत 80 अन्य घायल हुए। प्रदर्शनकारी लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची के विस्तार की मांग कर रहे थे, जो आदिवासी आबादी के लिए विशेष प्रावधान करता है।