लकवा (पैरालिसिस) के कारण और उपचार: जानें कैसे करें बचाव

लकवा, जिसे पैरालिसिस भी कहा जाता है, एक गंभीर स्थिति है जो किसी भी उम्र में हो सकती है। यह स्थिति तब होती है जब शरीर के किसी अंग की मांसपेशियां काम करना बंद कर देती हैं। इस लेख में लकवा के प्रमुख कारण, पहचान और तात्कालिक उपचार के उपायों पर चर्चा की गई है। जानें कैसे समय पर उपचार से इस समस्या से बचा जा सकता है और स्वस्थ जीवन जीने के लिए क्या करना चाहिए।
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लकवा (पैरालिसिस) क्या है?

लकवा, जिसे अंग्रेजी में पैरालिसिस कहा जाता है, एक गंभीर स्थिति है जिसमें शरीर के किसी अंग की मांसपेशियां पूरी तरह से कार्य नहीं कर पाती हैं। यह समस्या आमतौर पर 50 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों में देखी जाती है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकती है। यदि समय पर उपचार नहीं किया गया, तो यह व्यक्ति को अपाहिज बना सकता है।


लकवा (पैरालिसिस) के प्रमुख कारण

किसी अंग का दबना


जब शरीर का कोई अंग लंबे समय तक दबा रहता है, तो उस हिस्से में रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है। इससे मस्तिष्क उस हिस्से पर रक्तसंचालन रोक देता है, जिससे लकवा हो सकता है।


अम्लीय पदार्थ का सेवन


अम्लीय खाद्य पदार्थों के सेवन से रक्त में अम्ल की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे धमनियों में रुकावट आती है और लकवा का खतरा बढ़ता है।


तनाव का प्रभाव


अधिक तनाव से मस्तिष्क में खून जमने की संभावना बढ़ जाती है, जो लकवा का कारण बन सकता है। इसलिए मानसिक तनाव से बचना आवश्यक है।


लकवा (पैरालिसिस) के लिए तात्कालिक उपाय

लकवा के लक्षण दिखने पर तुरंत एक चम्मच शहद में दो लहसुन की कलियां मिलाकर सेवन करें। इससे राहत मिल सकती है।


लकवे के प्रभावित हिस्से पर कलौंजी के तेल से मालिश करना भी फायदेमंद हो सकता है।


लकवा (पैरालिसिस) की पहचान

लकवा के लक्षणों में मुंह या आंख का टेढ़ा होना, हाथ या पैर का काम करना बंद कर देना शामिल हैं।


लकवा (पैरालिसिस) का प्रभावी इलाज

यदि कोई व्यक्ति लकवा से पीड़ित है, तो उसे वैदनाथ फार्मेसी का व्रहतवातचिंतामणि रस लेना चाहिए। दायीं तरफ प्रभावित होने पर एक गोली सुबह और एक शाम को शहद के साथ लें। बायीं तरफ प्रभावित होने पर वीर-योगेन्द्र रस का सेवन करें।


इसके अलावा, पीड़ित व्यक्ति को चने के आटे की मिस्सी रोटी और शुद्ध घी का सेवन करना चाहिए।


स्वास्थ्य का महत्व

स्वास्थ्य ही जीवन की खुशियों का आधार है। स्वस्थ रहने के लिए सकारात्मक सोच और तनावमुक्त रहना आवश्यक है।