रोहिणी व्रत 2026: जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

रोहिणी व्रत 2026 का आयोजन 1 जनवरी को होगा, जिसमें जैन महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए पूजा करती हैं। इस लेख में हम सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानेंगे। जानें इस व्रत का महत्व और इसके पीछे के धार्मिक उद्देश्य।
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रोहिणी व्रत 2026: जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

रोहिणी व्रत का महत्व

रोहिणी व्रत 2026: जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

रोहिणी व्रत 2025Image Credit source: AI

रोहिणी व्रत का महत्व: यह व्रत जैन धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इसे मुख्यतः जैन महिलाओं द्वारा अपने पतियों की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और परिवार के कल्याण के लिए किया जाता है। इस संदर्भ में श्रद्धालुओं के मन में यह प्रश्न उठता है कि रोहिणी व्रत 1 जनवरी को होगा या 2 जनवरी को? आइए, हम इसकी सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में जानते हैं।

रोहिणी व्रत 2026 की तिथि और मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष रोहिणी व्रत 1 जनवरी 2026 को मनाया जाएगा।

तारीख: 1 जनवरी 2026, गुरुवार

तिथि: पौष माह, शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी (रात 10:22 बजे तक)

रोहिणी नक्षत्र: 1 जनवरी को सुबह से लेकर रात 10:48 बजे तक रहेगा।

विशेष योग: इस दिन शिववास योग का निर्माण हो रहा है, जो पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

रोहिणी व्रत का उद्देश्य

यह व्रत जैन महिलाओं द्वारा श्रद्धा से किया जाता है और इसके पीछे कई धार्मिक और सामाजिक उद्देश्य हैं।

पति की लंबी उम्र: महिलाएं अपने पतियों की दीर्घायु और स्वास्थ्य के लिए यह व्रत करती हैं।

सुख-समृद्धि: यह व्रत परिवार में सुख और शांति बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है।

आध्यात्मिक शुद्धि: जैन मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत आत्मा के विकारों को दूर करने में सहायक होता है।

संतान सुख: संतान की खुशहाली और उन्नति के लिए भी यह व्रत किया जाता है।

आराध्य देव की पूजा

जैन धर्म में: रोहिणी व्रत के दिन जैन अनुयायी 12वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य की विशेष पूजा करते हैं।

रोहिणी व्रत की पूजा विधि

व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। व्रत का संकल्प लें। भगवान वासुपूज्य की प्रतिमा या तस्वीर को एक साफ चौकी पर रखें। भगवान को पुष्प, धूप और फल अर्पित करें। जैन मंदिरों में जाकर सामायिक और पूजा करना शुभ होता है। इस दिन गरीबों को अन्न या सामर्थ्य अनुसार दान देना पुण्यकारी माना जाता है। तामसिक भोजन से दूर रहें और सात्विक विचार रखें। अगले दिन रोहिणी नक्षत्र समाप्त होने के बाद ही व्रत का पारण करें।

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