रोहिणी रडार सिस्टम: भारतीय वायुसेना की नई तकनीकी ताकत

रोहिणी रडार सिस्टम का परिचय

सांकेतिक तस्वीर.
एयरफोर्स डे के अवसर पर प्रदर्शित स्वदेशी रोहिणी रडार सिस्टम ने दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। यह वही रडार है जिसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। रोहिणी एक 3D सरफेस-टू-एयर रडार है, जिसे DRDO द्वारा विकसित किया गया है। इसका मुख्य कार्य आसमान में दुश्मन के फाइटर जेट, ड्रोन या मिसाइल जैसी गतिविधियों का समय पर पता लगाना और वायुसेना को सतर्क करना है।
मुख्य विशेषताएँ
- 360 डिग्री कवरेज: यह चारों दिशाओं में निगरानी करता है, जिससे कोई भी घुसपैठ छिप नहीं सकती।
- 150 किलोमीटर की रेंज: यह रडार दुश्मन के विमानों या मिसाइलों को दूर से पहचान सकता है।
- सटीक लोकेशन ट्रैकिंग: यह दुश्मन के विमान की ऊंचाई, दिशा और गति का सटीक पता लगाता है।
- मोबाइल और लचीला: इसे ट्रक या ट्रेलर पर स्थापित कर सीमावर्ती क्षेत्रों में तेजी से तैनात किया जा सकता है।
ऑपरेशन सिंदूर में योगदान
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, रोहिणी रडार ने भारत के पश्चिमी सेक्टर में हवाई निगरानी का कार्य संभाला। इस रडार ने पाकिस्तान की ओर से होने वाली किसी भी हवाई गतिविधि को ट्रैक किया और समय पर वायुसेना को सूचित किया। जब राफेल और सुखोई जैसे फाइटर जेट्स मिशन पर थे, तब रोहिणी रडार ने उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की, ताकि कोई दुश्मन विमान बिना पकड़े भारतीय क्षेत्र के करीब न आ सके।
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रोहिणी रडार की विशेषता
रोहिणी रडार पूरी तरह से भारत में निर्मित है और यह देश की स्वदेशी तकनीकी क्षमताओं का प्रतीक है। एयरफोर्स डे पर इसका प्रदर्शन यह दर्शाता है कि भारतीय वायुसेना के पास दुश्मन की हर गतिविधि पर नजर रखने की अपनी तकनीक मौजूद है।
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