रेलवे ने हाथियों की सुरक्षा के लिए AI तकनीक का किया उपयोग

असम में हाल ही में हुई एक दर्दनाक घटना के बाद, जहां राजधानी एक्सप्रेस की चपेट में आने से हाथियों की मौत हुई, रेलवे प्रशासन ने सुरक्षा उपायों को सख्त करने का निर्णय लिया है। अब, AI तकनीक का उपयोग कर रेलवे ट्रैक पर जानवरों की उपस्थिति को पहले से पहचानने की योजना बनाई गई है। यह प्रणाली न केवल वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करेगी। जानें इस नई तकनीक के बारे में और कैसे यह रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करेगी।
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रेलवे प्रशासन की नई पहल

हाल ही में असम में राजधानी एक्सप्रेस द्वारा हाथियों की मौत के मामले के बाद रेलवे प्रशासन ने सुरक्षा उपायों को सख्त करने का निर्णय लिया है। इस घटना के बाद, रेलवे ने तकनीकी सहायता लेने का निर्णय लिया है। जानकारी के अनुसार, भारतीय रेलवे ने वन्यजीवों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक नई प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया है। अब ट्रैक पर हाथियों, बाघों और शेरों की उपस्थिति को पहले से पहचानने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित सिस्टम स्थापित किया जाएगा, जिससे समय पर ट्रेन को रोका जा सके और जानवरों की जान बचाई जा सके।


असम में हुई घटना का विवरण

पिछले शनिवार को असम के होजाई जिले में राजधानी एक्सप्रेस की चपेट में आने से हाथियों की मौत हो गई। यह घटना तब हुई जब हाथियों का एक झुंड सैरांग-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस से टकरा गया। यह दावा किया गया कि यह एलिफेंट रूट नहीं था, लेकिन जंगल के निकट होने के कारण हाथियों का झुंड वहां पहुंच गया। इस हादसे में एक हाथी गंभीर रूप से घायल हुआ, जबकि ट्रेन के पांच डिब्बे और इंजन पटरी से उतर गए। हालांकि, यात्रियों को कोई नुकसान नहीं हुआ।


AI तकनीक से जानवरों की सुरक्षा

रेलवे के अनुसार, अब AI आधारित इंट्रूजन डिटेक्शन सिस्टम लागू किया जा रहा है, जो डिस्ट्रिब्यूटेड एकॉस्टिक सिस्टम (DAS) तकनीक पर आधारित है। यह प्रणाली ट्रैक के आसपास हाथियों की गतिविधियों का पता लगाती है। वर्तमान में, यह तकनीक नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे के 141 किलोमीटर लंबे सेक्शन में लागू की गई है, जहां हाथियों के साथ ट्रेन टकराने की घटनाएं अधिक होती हैं। यदि इस पायलट प्रोजेक्ट के परिणाम सकारात्मक रहते हैं, तो रेलवे इसे और विस्तारित करने पर विचार करेगा।


सिस्टम की कार्यप्रणाली

AI कैमरे और सेंसर ट्रैक के पास हाथियों की गतिविधियों का पता लगाते ही लोको पायलट, स्टेशन मास्टर और कंट्रोल रूम को तुरंत अलर्ट भेजते हैं। खास बात यह है कि ट्रेन ड्राइवर को लगभग आधा किलोमीटर पहले चेतावनी मिल जाती है, जिससे वह ट्रेन की गति को कम कर सकता है या उसे रोक सकता है। रेलवे का कहना है कि यह तकनीक वन्यजीव संरक्षण और यात्रियों की सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।