रेल मंत्री ने परिवहन लागत में कमी के लिए नई परियोजनाओं की घोषणा की
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल के दौरान परिवहन और रसद लागत को कम करने के लिए नई परियोजनाओं की घोषणा की है। आईआईएम बैंगलोर और आईआईएम कलकत्ता के अध्ययन के अनुसार, इन पहलों से देश की रसद लागत में 4% की कमी आएगी। बल्लारी-चिकजाजुर मल्टीट्रैकिंग परियोजना, जो 185 किलोमीटर लंबी है, मंगलौर बंदरगाह को आंतरिक क्षेत्रों से जोड़ेगी और पर्यावरण के लिए भी लाभकारी होगी। ये परियोजनाएं भारतीय रेलवे की परिचालन दक्षता में सुधार करेंगी और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाएंगी।
Jun 11, 2025, 17:10 IST
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परिवहन और रसद लागत में कमी के लिए नई पहलों की शुरुआत
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल में परिवहन और रसद लागत को घटाने के लिए कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू की गई हैं। हाल ही में आईआईएम बैंगलोर और आईआईएम कलकत्ता द्वारा किए गए अध्ययन में यह सामने आया है कि परिवहन में निवेश करने से देश की रसद लागत में लगभग 4% की कमी आई है। रसद लागत में हर प्रतिशत की कमी का अर्थ है कि उद्योग अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे, जिससे निर्यात बढ़ाने और उत्पादन लागत को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। पिछले एक वर्ष में परिवहन परियोजनाओं के लिए लगभग 4.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश स्वीकृत किया गया है, जो विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
बल्लारी-चिकजाजुर मल्टीट्रैकिंग परियोजना का महत्व
कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भारतीय रेलवे की बल्लारी-चिकजाजुर मल्टीट्रैकिंग परियोजना पर केंद्रीय रेल मंत्री ने कहा कि यह दोहरीकरण परियोजना 185 किलोमीटर लंबी है और इसकी लागत 3,342 करोड़ रुपये है। यह मंगलौर बंदरगाह को आंतरिक क्षेत्रों से कुशलता से जोड़ेगी। हम मंगलौर की रेलवे कनेक्टिविटी को सुधारने के लिए एक मास्टर प्लान तैयार कर रहे हैं। यह परियोजना 29 प्रमुख पुलों के साथ एक जटिल संरचना है, जिससे लगभग 13 लाख लोगों को लाभ होगा। यह लगभग 19 मिलियन टन अतिरिक्त माल की ढुलाई की क्षमता प्रदान करेगी, जो पर्यावरण के लिए अत्यंत लाभकारी होगी। इससे 101 करोड़ कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी, जो चार करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है। यह परियोजना कर्नाटक-आंध्र प्रदेश सीमा पर बल्लारी क्षेत्र में स्थित है।
रेलवे की परिचालन दक्षता में सुधार
रेलवे लाइन की बढ़ी हुई क्षमता परिवहन को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगी, जिससे भारतीय रेलवे की परिचालन दक्षता और सेवा विश्वसनीयता में सुधार होगा। ये मल्टी-ट्रैकिंग प्रस्ताव रेलवे संचालन को सुव्यवस्थित करने और भीड़भाड़ को कम करने के लिए तैयार किए गए हैं। सरकार ने कहा कि ये परियोजनाएं प्रधानमंत्री मोदी के नए भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं, जो स्थानीय लोगों को व्यापक विकास के माध्यम से ‘आत्मनिर्भर’ बनाएगी और रोजगार के अवसर बढ़ाएगी। रेल मंत्रालय ने बताया कि ये परियोजनाएं पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम हैं, जो एकीकृत योजना के माध्यम से संभव हुई हैं। इससे लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध संपर्क की सुविधा मिलेगी। मंत्रालय ने कहा, ‘‘झारखंड, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के सात जिलों को शामिल करने वाली दो परियोजनाएं भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क को लगभग 318 किलोमीटर तक बढ़ा देंगी।’’ मंत्रालय ने यह भी कहा कि ये परियोजनाएं देश की लॉजिस्टिक लागत को कम करने, तेल आयात में 52 करोड़ लीटर की कमी लाने और कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन में 264 करोड़ किलोग्राम की कटौती करने में मदद करेंगी, जो 11 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।