रेखा का राष्ट्रीय पुरस्कार: हिंदी सिनेमा की अदाकारा की कहानी

रेखा, हिंदी सिनेमा की एक प्रमुख अदाकारा, ने अपने करियर में कई सफल फिल्में की हैं। उन्होंने 1981 में फिल्म 'उमराव जान' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीता, जिसमें उनकी अदाकारी और नृत्य की प्रशंसा की गई। इस लेख में रेखा के करियर की शुरुआत, उनकी प्रमुख फिल्मों और पुरस्कारों के बारे में जानें।
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रेखा का राष्ट्रीय पुरस्कार: हिंदी सिनेमा की अदाकारा की कहानी

रेखा का राष्ट्रीय पुरस्कार

जब हिंदी सिनेमा के महान अदाकाराओं की चर्चा होती है, तो रेखा का नाम अवश्य लिया जाता है। उन्होंने अपने करियर में न केवल अपनी फिल्मों से, बल्कि अपनी व्यक्तिगत जिंदगी से भी काफी सुर्खियां बटोरी हैं। 70 के दशक में बॉलीवुड में कदम रखने वाली रेखा ने 90 के दशक तक लीड एक्ट्रेस के रूप में अपनी पहचान बनाई।


नेशनल अवॉर्ड जीतने वाली फिल्म

रेखा ने 71 साल की उम्र में अपने करियर की शुरुआत फिल्म 'सावन भादो' से की, जो 1970 में रिलीज हुई थी। उन्हें पहला राष्ट्रीय पुरस्कार 1981 में फिल्म 'उमराव जान' के लिए मिला। इस फिल्म में उनकी अदाकारी, नृत्य और खूबसूरती की प्रशंसा की गई। रेखा को इस फिल्म में बेहतरीन काम के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।


सफलता की कहानी

उमराव जान में रेखा ने एक यादगार किरदार निभाया, जो उर्दू लेखक मिर्जा हादी रुसवा के उपन्यास पर आधारित था। इस फिल्म का निर्देशन मुजफ्फर अली ने किया था और इसे 50 लाख रुपये के बजट में बनाया गया था, जिसने बॉक्स ऑफिस पर 90 लाख रुपये का कारोबार किया।


रेखा का फिल्मी सफर

रेखा ने अपने करियर में 100 से अधिक फिल्मों में काम किया, जिनमें 'सिलसिला', 'खून भरी मांग', 'खूबसूरत', 'मुकद्दर का सिंकदर', 'नमक हराम', 'कोई मिल गया', 'खिलाड़ियों का खिलाड़ी', 'कृष', 'जुदाई', 'सुहाग', 'धर्मा' और 'बीवी हो तो ऐसी' शामिल हैं। उन्होंने चार फिल्मफेयर अवॉर्ड भी जीते हैं और 2003 में आईफा तथा 2012 में लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया।