रूपा गांगुली: महाभारत की द्रौपदी से राजनीति तक का सफर

रूपा गांगुली, जो महाभारत में द्रौपदी का किरदार निभाकर अमर हो गईं, ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। उनका अभिनय केवल एक पेशा नहीं, बल्कि एक यात्रा है, जिसमें उन्होंने व्यक्तिगत संघर्षों का सामना किया और अंततः राजनीति में कदम रखा। जानें कैसे उन्होंने अपने करियर में सफलता हासिल की और आज भी दर्शकों के दिलों में जीवित हैं।
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रूपा गांगुली: महाभारत की द्रौपदी से राजनीति तक का सफर

महाभारत में द्रौपदी का किरदार

रूपा गांगुली: महाभारत की द्रौपदी से राजनीति तक का सफर


दूरदर्शन के प्रसिद्ध धारावाहिक महाभारत में द्रौपदी का किरदार निभाने वाली रूपा गांगुली को इस भूमिका ने अमर बना दिया। उनके भाव, आवाज़ और पीड़ा ने दर्शकों को आज भी प्रभावित किया है। एक बार सेट पर ऐसा हुआ कि चीरहरण का दृश्य, जिसे पूरी टीम ने चुनौतीपूर्ण माना, उन्होंने केवल एक टेक में पूरा कर दिया। लेकिन जैसे ही कैमरा बंद हुआ, वह अपने किरदार में इतनी डूब गईं कि अपने आंसुओं को रोक नहीं पाईं। यह घटना उनके अभिनय की गहराई और समर्पण को दर्शाती है।


अभिनय की यात्रा

रूपा गांगुली का जन्म 25 नवंबर 1966 को कोलकाता के कल्याणी में हुआ। बचपन से ही उन्हें कला और संगीत में रुचि थी, लेकिन अभिनय में आने का कोई इरादा नहीं था। एक पारिवारिक समारोह में एक फिल्म निर्माता से मिलने के बाद, उन्होंने संकोच के बावजूद अभिनय की दुनिया में कदम रखा। उनके स्वाभाविक अभिनय ने उन्हें कई प्रोजेक्ट्स में काम दिलाया।


हालांकि उन्होंने हिंदी और बंगाली फिल्मों में कई भूमिकाएँ निभाईं, लेकिन महाभारत में द्रौपदी का किरदार उनके करियर का टर्निंग पॉइंट बना। यह भूमिका उनके लिए केवल एक अभिनय नहीं, बल्कि उनके आत्मविश्वास और प्रतिभा को नई दिशा देने वाला एक महत्वपूर्ण पड़ाव बन गई।


निजी जीवन और राजनीति में कदम

रूपा गांगुली की निजी जिंदगी भी कई चुनौतियों से भरी रही। शादी के बाद रिश्तों में तनाव ने उनकी मानसिक स्थिति को प्रभावित किया। हालांकि, बेटे के जन्म के बाद उन्होंने अपने जीवन में संतुलन पाया और तलाक के बाद अपने करियर पर ध्यान केंद्रित किया।


अभिनय के साथ-साथ, वह रवींद्र संगीत की प्रशिक्षित गायिका और क्लासिकल डांसर भी हैं। कई बंगाली फिल्मों में उनके गाए गीतों ने उन्हें पहचान दिलाई। इसके बाद, उन्होंने राजनीति में कदम रखा और महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों के लिए एक मुखर आवाज बनीं।


आज भी दर्शक उन्हें द्रौपदी की मजबूत और भावनात्मक छवि के रूप में याद करते हैं—एक ऐसी अभिनेत्री जिसने अपने किरदार को केवल निभाया नहीं, बल्कि उसे जीया।