रीठा: बवासीर और अन्य रोगों के लिए प्रभावी औषिधि
रीठा, जिसे अरीठा भी कहा जाता है, एक प्राकृतिक औषिधि है जो बवासीर और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए बेहद प्रभावी मानी जाती है। इस लेख में, हम जानेंगे कि कैसे रीठा का उपयोग करके औषिधि बनाई जाती है, इसके सेवन के तरीके और इसके अद्भुत फायदे। जानें कि कैसे यह औषिधि 90% मरीजों को लाभ पहुंचाती है और इसके सेवन के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
Jul 15, 2025, 14:13 IST
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रीठा का उपयोग और औषिधि बनाने की विधि

- यह नुस्खा एक महात्मा से प्राप्त हुआ है, और प्रयोग करने पर 90% मरीजों को लाभ मिला है। आइए जानते हैं इस नुस्खे के बारे में।
औषिधि बनाने की विधि :
- रीठा के फल से बीज निकालकर, शेष भाग को लोहे की कढ़ाई में डालें और तब तक गर्म करें जब तक वह कोयला न बन जाए। फिर इसे आंच से उतारकर समान मात्रा में पपड़िया कत्था मिलाकर छान लें। आपकी औषिधि तैयार है।
औषिधि का सेवन कैसे करें :
- इस औषिधि का एक रत्ती (125 मिलीग्राम) मक्खन या मलाई के साथ सुबह-शाम सेवन करें। यह प्रक्रिया सात दिनों तक जारी रखें।
- सात दिनों के सेवन से कब्ज, बवासीर की खुजली, और बवासीर से खून बहना जैसी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
- यदि आप इस रोग से स्थायी छुटकारा पाना चाहते हैं, तो हर छह महीने में यह कोर्स दोहराएं।
रीठा के अन्य नाम :
- संस्कृत - अरिष्ट, रक्तबीज, मागल्य
- हिन्दी - रीठा, अरीठा
- गुजराती - अरीठा
- मराठी - रीठा
- मारवाड़ी - अरीठो
- पंजाबी - रेठा
- कर्नाटक - कुकुटेकायि
सेवन के दौरान परहेज़ :
- सेवन के दौरान नमक का सेवन न करें। आयुर्वेद में पथ्यापथ्य का विशेष ध्यान रखा जाता है।
क्या खाएं :
- मुंग या चने की दाल, बथुआ, करेला, कच्चा पपीता, गुड़, दूध, घी, मक्खन, काला नमक, सरसों का तेल आदि का सेवन करें।
क्या न खाएं :
- उड़द, भारी और भुने पदार्थ, घिया, धूप या ताप से बचें।
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रीठा के फायदे :
- बवासीर में राहत के लिए रीठा के छिलके को दूध में मिलाकर गोलियां बनाएं।
- संग्रहणी के लिए रीठा को गर्म पानी में डालकर सेवन करें।
- गले के दर्द में रीठा का चूर्ण शहद के साथ लें।
- दांतों के रोगों में रीठा के बीजों का उपयोग करें।
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