रिलायंस और टाटा का नया 'क्विक कॉमर्स': 10 मिनट में इलेक्ट्रॉनिक्स की डिलीवरी

अंबानी-टाटा का नया 'क्विक' धमाका

कल्पना कीजिए, यदि आपका फोन अचानक खराब हो जाए और नया फोन केवल 10 मिनट में आपके पास हो। या फिर मेहमानों के आने से पहले एक नया मिक्सर ग्राइंडर चाहिए, और वह तुरंत पहुंच जाए। अब यह सब संभव होने जा रहा है। दरअसल, भारत के दो प्रमुख कारोबारी समूह, रिलायंस रिटेल और टाटा ग्रुप, इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में 'क्विक कॉमर्स' का एक नया अध्याय शुरू करने जा रहे हैं। किराने के सामान की त्वरित डिलीवरी के बाद, अब स्मार्टफोन, लैपटॉप और हेडफोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की बारी है। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत में त्वरित डिलीवरी की पूरी परिभाषा को बदल सकता है।
क्या इलेक्ट्रॉनिक्स का 'इंस्टेंट' बाजार ग्रॉसरी से बड़ा होगा?
अब तक हम 10 मिनट में दूध, ब्रेड या सब्जियां मंगाने के आदी हो चुके हैं, लेकिन अब इसी गति से महंगे इलेक्ट्रॉनिक सामान भी हमारे दरवाजे तक पहुंचेंगे। इस बदलाव के पीछे दो मुख्य कारण हैं: पहला, इन उत्पादों की उच्च कीमत और दूसरा, ग्राहकों की 'इंस्टेंट ग्रैटिफिकेशन' की चाहत।
उद्योग के अधिकारियों का मानना है कि इलेक्ट्रॉनिक्स में क्विक कॉमर्स, ग्रॉसरी सेगमेंट को भी पीछे छोड़ सकता है। इसका गणित सीधा है। एक डिलीवरी में 200 रुपये का किराना सामान भेजने की तुलना में 20,000 रुपये का स्मार्टफोन भेजना कंपनियों के लिए अधिक लाभकारी है। ग्राहक अब इंतजार नहीं करना चाहते।
30 मिनट में इलेक्ट्रॉनिक्स स्टोर आपके घर पर
इस नई प्रतिस्पर्धा में रिलायंस रिटेल ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। कंपनी ने अपने स्टोर्स में उपलब्ध 'ग्रैब-एंड-गो' उत्पादों की पूरी रेंज को अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जियोमार्ट पर क्विक कॉमर्स के लिए उपलब्ध करा दिया है। रिलायंस का वादा है कि डिलीवरी 30 मिनट के भीतर होगी। यह सेवा देश के शीर्ष 10 शहरों में शुरू हो चुकी है।
रिलायंस रिटेल के CFO दिनेश तलुजा ने विश्लेषकों को बताया, "अगर आप किसी सामान्य क्विक कॉमर्स प्लेयर को देखें, तो उनके पास इलेक्ट्रॉनिक्स के बहुत कम विकल्प होते हैं, शायद बस एक आईफोन या कोई नया मॉडल। लेकिन हमारे बड़े इलेक्ट्रॉनिक स्टोर का पूरा 'ग्रैब-एंड-गो' असॉर्टमेंट 30 मिनट की टाइमलाइन में डिलीवरी के लिए उपलब्ध है। इसका मतलब है कि ग्राहक के पास चुनने के लिए ढेरों विकल्प हैं।"
टाटा का 'क्रोमा-बिग बास्केट' गठजोड़
टाटा ग्रुप भी इस प्रतिस्पर्धा में पीछे नहीं है। उन्होंने अपने इलेक्ट्रॉनिक रिटेल स्टोर 'क्रोमा' को अपने क्विक कॉमर्स वेंचर 'बिग बास्केट' के साथ जोड़ दिया है। यह सेवा फिलहाल बेंगलुरु में शुरू हुई है और जल्द ही अन्य शहरों में भी विस्तारित की जाएगी। टाटा ने पहले बड़े अप्लायंसेज की त्वरित डिलीवरी की कोशिश की थी, लेकिन उनकी मांग सीमित पाई गई। इसलिए, अब पूरा ध्यान छोटे इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स पर होगा।
एक और महत्वपूर्ण कदम यह है कि बिग बास्केट पिछले महीने एप्पल का आधिकारिक रीसेलर बन गया है। इससे वह एप्पल के सभी उत्पादों को स्टॉक कर सकता है और महज दस मिनट में उनकी डिलीवरी करने का दावा कर रहा है।
क्या ग्राहक 'तुरंत' पाने की कीमत चुकाएंगे?
रिलायंस और टाटा के इस कदम से पहले भी कई खिलाड़ी इस क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं, लेकिन उनका दायरा सीमित रहा है। ज़ेप्टो, स्विगी इंस्टामार्ट और ब्लिंकिट जैसे ऑपरेटरों ने भी इलेक्ट्रॉनिक्स में हाथ आजमाया, लेकिन बड़े उत्पादों की बिक्री में उनके शुरुआती प्रयास सफल नहीं रहे। वे अब स्मार्टफोन, किचन अप्लायंसेज और एक्सेसरीज जैसे 'ग्रैब-एंड-गो' आइटम्स पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, लेकिन उनके पास रिलायंस जैसा बड़ा असॉर्टमेंट नहीं है।
वहीं, विजय सेल्स और संगीता मोबाइल्स जैसे स्थापित रिटेलर्स भी अपने स्टोर्स वाले बाजारों में यह सेवा दे रहे हैं। बेंगलुरु की संगीता मोबाइल्स 30 मिनट में डिलीवरी दे रही है, जबकि विजय सेल्स दो घंटे में रेफ्रिजरेटर और वॉशिंग मशीन जैसे बड़े अप्लायंसेज की डिलीवरी करती है।
हालांकि मौजूदा ई-कॉमर्स बाजार में अमेजन और फ्लिपकार्ट का दबदबा है, लेकिन 'इंस्टेंट डिलीवरी' की यह नई प्रतिस्पर्धा ग्राहकों के लिए विकल्पों की भरमार लाने वाली है। यह निश्चित है कि आने वाले दिनों में गैजेट्स खरीदने का हमारा तरीका हमेशा के लिए बदलने वाला है।