राहुल गांधी के चुनावी आरोपों पर चुनाव आयोग की कड़ी प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसे चुनाव आयोग ने सख्ती से खारिज कर दिया है। गांधी का कहना है कि ये चुनाव लोकतंत्र में धांधली का हिस्सा हैं और बीजेपी की हार को छिपाने के लिए फर्जी मतदान की योजनाएं बनाई जा रही हैं। चुनाव आयोग ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा है कि बिना सबूत के आरोप लगाना कानून का अपमान है। जानें इस विवाद की पूरी कहानी और चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया।
Jun 7, 2025, 18:09 IST
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राहुल गांधी के विवादास्पद बयान
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों को लेकर कुछ विवादास्पद टिप्पणियाँ की हैं, जिससे नया विवाद उत्पन्न हो गया है। भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) ने उनके आरोपों को सख्ती से खारिज कर दिया है। गांधी ने कहा कि महाराष्ट्र चुनाव "लोकतंत्र में धांधली की योजना" का हिस्सा हैं और यह "मैच फिक्सिंग" अन्य राज्यों में भी फैल सकती है, जहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को हार का सामना करना पड़ रहा है। ईसीआई ने इन दावों को "निराधार" और "कानून के शासन का अपमान" करार दिया है।
गांधी के आरोपों की विस्तृत जानकारी
एक सोशल मीडिया पोस्ट में, राहुल गांधी ने चुनाव आयोग और सत्तारूढ़ पार्टी पर आरोप लगाया कि वे चुनावों में धांधली कर रहे हैं ताकि उनकी जीत सुनिश्चित हो सके। उन्होंने फर्जी मतदाताओं को जोड़ने, मतदान प्रतिशत बढ़ाने, और फर्जी मतदान की सुविधाएं देने जैसे कई अनियमितताओं का उल्लेख किया। गांधी ने यह भी कहा कि ऐसी प्रथाएं बिहार जैसे अन्य राज्यों में भी फैलेंगी, जहां बीजेपी को आगामी चुनावों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने चुनावों में धांधली की एक कथित प्रक्रिया का विवरण दिया, जो चुनाव आयोग की नियुक्ति से शुरू होकर धोखाधड़ी के सबूत छिपाने पर समाप्त होती है।
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग ने तुरंत गांधी के आरोपों को बेतुका और भ्रामक बताया। ईसीआई ने एक बयान में कहा कि कांग्रेस पार्टी की चिंताओं का विस्तृत उत्तर दिसंबर 2024 से उनकी वेबसाइट पर उपलब्ध होगा। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि बिना सबूत के आरोप न केवल कानून का अपमान करते हैं, बल्कि निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे चुनाव कर्मचारियों का मनोबल भी गिराते हैं। ईसीआई ने कहा कि किसी भी प्रकार की गलत सूचना फैलाना न केवल कानून के प्रति अनादर है, बल्कि राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त प्रतिनिधियों की बदनामी भी करता है।