राहुल गांधी की सुरक्षा प्रोटोकॉल की अनदेखी पर सीआरपीएफ की चिंता
केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की विदेश यात्राओं के दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल के उल्लंघन पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। ज़ेड+ श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त राहुल गांधी को हर यात्रा की पूर्व सूचना देनी होती है, लेकिन कई बार उन्होंने इस नियम का पालन नहीं किया। सीआरपीएफ ने इस लापरवाही को गंभीर खतरा बताया है और राहुल गांधी से सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करने का अनुरोध किया है। यह मामला केवल व्यक्तिगत सुरक्षा का नहीं, बल्कि राजनीतिक संदर्भ भी रखता है। जानें इस मुद्दे की गहराई में जाकर क्या है।
Sep 11, 2025, 15:40 IST
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राहुल गांधी की सुरक्षा पर सीआरपीएफ की चेतावनी
केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की विदेश यात्राओं के दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल के उल्लंघन पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। ज़ेड+ श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त राहुल गांधी को हर यात्रा और कार्यक्रम की पूर्व सूचना एडवांस सिक्योरिटी लायज़न (ASL) टीम को देनी होती है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार कई बार उन्होंने इस नियम का पालन नहीं किया है।
सीआरपीएफ ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को एक पत्र भेजकर बताया है कि यह लापरवाही राहुल गांधी को गंभीर खतरे में डाल सकती है। इसके अलावा, राहुल गांधी को भी एक अलग पत्र भेजा गया है, जिसमें उनसे भविष्य में सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करने का अनुरोध किया गया है।
पत्र में इटली, वियतनाम, दुबई, कतर, लंदन और मलेशिया जैसी यात्राओं का उल्लेख किया गया है। "येलो बुक" प्रोटोकॉल के अनुसार, उच्च सुरक्षा प्राप्त वीवीआईपी को विदेश यात्रा की पूर्व सूचना सुरक्षा तंत्र को देनी अनिवार्य है, ताकि आवश्यक इंतज़ाम किए जा सकें। लेकिन आरोप है कि राहुल गांधी ने कई बार इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया।
यह मामला केवल व्यक्तिगत सुरक्षा का नहीं है, बल्कि इसका राजनीतिक संदर्भ भी है। राहुल गांधी अक्सर विदेश यात्राओं पर रहते हैं, चाहे वह व्यक्तिगत कारणों से हों या राजनीतिक। विपक्ष के नेता होने के नाते उनके बयानों और विदेश दौरों पर चर्चा अक्सर राष्ट्रीय राजनीति में सुर्खियां बनती हैं। ऐसे में यदि वह सुरक्षा प्रोटोकॉल की अनदेखी करते हैं, तो यह सवाल उठता है कि क्या राजनीति को सुरक्षा से अधिक प्राथमिकता दी जा रही है?
भारत में वीवीआईपी सुरक्षा कोई साधारण प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह वर्षों के अनुभव और खतरों के आकलन पर आधारित है। ज़ेड+ श्रेणी की सुरक्षा का मतलब केवल व्यक्तिगत सुरक्षा नहीं, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा प्रतिष्ठान की जिम्मेदारी भी है। किसी भी प्रकार की चूक सुरक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता को कमजोर कर सकती है।
यहां एक द्वंद्व भी है— लोकतांत्रिक राजनीति में नेताओं को जनता से जुड़ना आवश्यक है, लेकिन बढ़ते वैश्विक आतंकवाद और राजनीतिक अस्थिरता के समय में सुरक्षा की अनदेखी आत्मघाती हो सकती है। राहुल गांधी जैसे वरिष्ठ नेता की लापरवाही न केवल उनके लिए, बल्कि सुरक्षा एजेंसियों और राजनीतिक व्यवस्था के लिए भी एक चुनौती है।
सुरक्षा कोई व्यक्तिगत विकल्प नहीं, बल्कि यह एक संस्थागत जिम्मेदारी है। राहुल गांधी को यह समझना चाहिए कि उनकी अनदेखी से वे केवल खुद को नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था को खतरे में डाल सकते हैं। राजनीति और सुरक्षा दोनों को साथ-साथ चलना चाहिए, बशर्ते नियमों का पालन किया जाए। राहुल गांधी का दायित्व है कि वे सुरक्षा प्रोटोकॉल का सम्मान करें, ताकि लोकतांत्रिक विमर्श और राजनीतिक गतिविधियाँ बिना किसी अनावश्यक जोखिम के आगे बढ़ सकें।