राहुल गांधी का 'मिशन बिहार' और राजद का नया फॉर्मूला

राहुल गांधी ने बिहार में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए कई बार दौरा किया है, लेकिन राजद के नए फॉर्मूले ने उनकी योजनाओं को चुनौती दी है। कांग्रेस 2020 की तरह 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा रखती है, लेकिन राजद ने इससे इनकार कर दिया है। अब कांग्रेस को केवल 53 सीटें मिलने की संभावना है। राहुल गांधी को यह तय करना है कि वह इस स्थिति को स्वीकार करेंगे या फिर सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए लालू यादव से बातचीत करेंगे। क्या कांग्रेस छोटे दलों के साथ मिलकर नया मोर्चा बनाएगी? जानें पूरी कहानी।
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राहुल गांधी का 'मिशन बिहार' और राजद का नया फॉर्मूला

राहुल गांधी का बिहार दौरा

कांग्रेस पार्टी को देशभर में मजबूत करने के प्रयास में राहुल गांधी ने हाल के महीनों में बिहार का दौरा किया है। वर्ष 2025 में, वह अब तक पांच बार बिहार आ चुके हैं। इन यात्राओं के दौरान, उन्होंने दलित, अन्य पिछड़ी जातियों, अत्यंत पिछड़ी जातियों, युवाओं और महिलाओं के साथ संवाद किया, ताकि उन्हें पार्टी की ओर आकर्षित किया जा सके। संगठन को नई ऊर्जा देने के लिए, उन्होंने प्रदेश प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष और जिला अध्यक्षों में बदलाव किया।


कांग्रेस की चुनावी रणनीति

राहुल गांधी की इन कोशिशों का मुख्य उद्देश्य बिहार में कांग्रेस को मजबूत करना है, ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में विपक्षी इंडिया गठबंधन के तहत अधिक सीटें हासिल की जा सकें।


राजद का झटका

हालांकि, राहुल गांधी के इस 'मिशन बिहार' को उनके सहयोगी दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने बड़ा झटका दिया है। लालू यादव के फॉर्मूले ने कांग्रेस को चिंतित कर दिया है। कांग्रेस इस बार भी 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, लेकिन राजद ने इससे साफ इनकार कर दिया है।


सीटों का बंटवारा

सूत्रों के अनुसार, राजद ने स्पष्ट किया है कि कांग्रेस को लगभग 53 सीटें ही मिल सकती हैं। 2020 में महागठबंधन के सबसे बड़े दल के रूप में राजद ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि कांग्रेस को 70 सीटें मिली थीं। इस बार, राजद ने 140 सीटों पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव रखा है।


कांग्रेस की दुविधा

कांग्रेस नेताओं के लिए यह स्थिति दुविधा का कारण बन गई है। अब राहुल गांधी को तय करना है कि वह इतनी सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं या फिर लालू यादव से बात करके सीटों की संख्या बढ़ाने का प्रयास करें। कुछ कांग्रेस नेता एक तीसरे विकल्प की भी चर्चा कर रहे हैं, जिसमें राहुल गांधी छोटे दलों के साथ मिलकर एक नया मोर्चा बनाने का विचार कर सकते हैं।