राहुल गांधी का ऑपरेशन सिंदूर पर बयान: सरकार की नीतियों पर उठाए सवाल
राहुल गांधी ने लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करते हुए सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की कमी और राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी पर प्रकाश डाला। उनके बयान में पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ित परिवारों का जिक्र भी शामिल था। जानें उनके विचार और सरकार की प्रतिक्रिया पर क्या कहा गया।
Jul 29, 2025, 18:01 IST
|

राहुल गांधी का बयान
लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करते हुए नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि विपक्ष ने इस दौरान सरकार का समर्थन किया। उन्होंने एक निर्दयी हमले का जिक्र किया, जिसे पाकिस्तानी सरकार द्वारा योजनाबद्ध बताया। उन्होंने कहा कि इस हमले में युवाओं और बुजुर्गों की निर्मम हत्या की गई। सभी सदस्यों ने मिलकर पाकिस्तान की निंदा की। राहुल ने यह भी कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत से पहले ही विपक्ष ने सेना और भारत की निर्वाचित सरकार के साथ खड़े रहने की प्रतिबद्धता जताई थी।
राहुल ने कहा कि कुछ नेताओं की ओर से व्यंग्यात्मक टिप्पणियाँ आईं, लेकिन विपक्ष ने चुप्पी साधे रखी। यह एक ऐसा मुद्दा था जिस पर इंडिया गठबंधन के सभी वरिष्ठ नेताओं ने सहमति जताई। उन्होंने गर्व से कहा कि विपक्ष एकजुट रहा, जैसा कि होना चाहिए था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद सरकार ने पाकिस्तान को बताया कि वे संघर्ष को आगे नहीं बढ़ाना चाहते, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है।
कांग्रेस नेता ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद करनाल में एक परिवार से मिलने का जिक्र किया, जहां एक युवक नेवी में था। उन्होंने बताया कि उस परिवार ने अपने बेटे की याद में फोटो एल्बम दिखाया। बहन ने कहा कि वह दरवाजे की ओर देखती है, लेकिन उसका भाई वापस नहीं आएगा। इसके बाद, उन्होंने यूपी में एक और परिवार से मिलने का अनुभव साझा किया, जिसमें पति को पत्नी के सामने गोली मारी गई थी। यह सब देखकर हर भारतीय का दिल दुखता है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार ने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर हमला न करने का आदेश देकर गलती की। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर का असली उद्देश्य प्रधानमंत्री की छवि को बचाना था। उन्होंने दो महत्वपूर्ण शब्दों का जिक्र किया - 'राजनीतिक इच्छाशक्ति' और 'कार्रवाई की स्वतंत्रता'। यदि भारतीय सशस्त्र बलों का उपयोग करना है, तो राजनीतिक इच्छाशक्ति और कार्रवाई की स्वतंत्रता दोनों होनी चाहिए। उन्होंने 1971 के युद्ध की तुलना करते हुए कहा कि उस समय राजनीतिक इच्छाशक्ति थी।
राहुल ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम कराने के दावों का भी जिक्र किया। उन्होंने प्रधानमंत्री से पूछा कि यदि ट्रंप गलत हैं, तो उन्हें सदन में स्पष्ट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि नरेंद्र मोदी में इंदिरा गांधी जैसी हिम्मत है, तो उन्हें सदन में यह बताना चाहिए कि ट्रंप झूठ बोल रहे हैं।