राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में बड़े बदलाव की तैयारी, शताब्दी वर्ष पर नया ढांचा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने शताब्दी वर्ष के अवसर पर संगठनात्मक ढांचे में महत्वपूर्ण बदलाव करने की योजना बना रहा है। इस बदलाव में क्षेत्र प्रचारकों की संख्या में कमी, प्रांत व्यवस्था का समापन और नए राज्य प्रचारक पद का निर्माण शामिल है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान जैसे राज्यों में भी ढांचे में परिवर्तन होगा। जानें इस नई व्यवस्था के तहत क्या-क्या बदलाव होंगे और संघ की आंतरिक संरचना कैसे बदलने वाली है।
| Dec 25, 2025, 13:09 IST
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में बदलाव की योजना
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने शताब्दी वर्ष के अवसर पर संगठनात्मक ढांचे में महत्वपूर्ण परिवर्तन करने की योजना बना रहा है। संघ के सूत्रों के अनुसार, क्षेत्र प्रचारकों की संख्या में कमी की जाएगी, और प्रांत व्यवस्था को समाप्त कर एक नया पद 'राज्य प्रचारक' स्थापित किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान जैसे राज्यों में भी क्षेत्रीय ढांचे में बदलाव होगा। कमिश्नरी स्तर पर 'संभागीय प्रचारक' का नया पद भी जोड़ा जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, संघ की संगठनात्मक व्यवस्था और आंतरिक ढांचे में बदलाव की तैयारी पूरी हो चुकी है। इस नई व्यवस्था के तहत क्षेत्र प्रचारकों की संख्या को घटाकर 11 से 9 क्षेत्रों तक सीमित किया जाएगा। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को मिलाकर एक क्षेत्र बनाया जाएगा, जबकि राजस्थान को उत्तरी क्षेत्र में शामिल किया जाएगा।
संरचना में कई बदलाव
वर्तमान में उत्तर क्षेत्र में हरियाणा, दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर शामिल हैं। अब राजस्थान को भी इसमें जोड़ा जाएगा। प्रांत प्रचारक की जगह राज्य प्रचारक बनाए जाएंगे, जिससे प्रांत व्यवस्था समाप्त हो जाएगी। संघ में प्रांत प्रचारक की भूमिका अब महत्वपूर्ण नहीं रहेगी।
हर राज्य के लिए एक प्रचारक
अब प्रत्येक राज्य के लिए एक प्रचारक होगा, जिसे राज्य प्रचारक कहा जाएगा। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में अब सात प्रांत प्रचारकों की जगह एक ही राज्य प्रचारक होगा। कमिश्नरी स्तर पर संभागीय प्रचारक की नई व्यवस्था लागू की जाएगी, जिससे पूरे देश में 75 से अधिक संभागीय प्रचारक होंगे।
सुझावों के आधार पर बदलाव
संभागीय प्रचारक के नीचे की व्यवस्था पहले की तरह जारी रहेगी। विभाग प्रचारक और जिला प्रचारक की व्यवस्था भी पूर्ववत बनी रहेगी। संघ ने अपने शताब्दी वर्ष पर आंतरिक व्यवस्था और संगठन पदानुक्रम के पुनर्गठन के लिए एक टीम बनाई थी, जिसने अपनी रिपोर्ट और सुझाव प्रस्तुत किए हैं। इन सुझावों पर सहमति बन गई है, और यह नई व्यवस्था शताब्दी समारोह के बाद लागू हो सकती है।
