राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष पर साहित्य चर्चा का आयोजन

इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष पर एक द्विदिवसीय समग्र संघ साहित्य परिचर्चा का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में मनोज कुमार ने संघ के कार्यों और उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। विभिन्न साहित्यकारों ने संघ विचारकों द्वारा लिखित पुस्तकों का सार प्रस्तुत किया। इस चर्चा का उद्देश्य संघ के विचारों को साहित्य के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाना था। कार्यक्रम में कई प्रमुख साहित्यकार और शोधार्थी उपस्थित रहे।
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष पर साहित्य चर्चा का आयोजन

साहित्य परिषद् की समग्र संघ साहित्य परिचर्चा

अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री मनोज कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने ऐसे व्यक्तियों का निर्माण किया है, जो देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने को तैयार हैं। वर्तमान में संघ, भारत और हिंदू शब्द एक-दूसरे के पर्याय बन गए हैं।




मनोज कुमार ने रविवार को इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती द्वारा आयोजित द्विदिवसीय समग्र संघ साहित्य परिचर्चा के समारोह में यह बात कही। यह कार्यक्रम पीजीडीएवी महाविद्यालय के पुस्तकालय में आयोजित किया गया था।




उन्होंने कहा कि संघ का कार्य बहुत व्यापक है और इसमें कोई भी विषय अछूता नहीं है। संघ ने व्यक्ति से लेकर विश्व तक कार्य किया है और इसका उद्देश्य हिंदू समाज का संगठन करना और भारत को विश्व का मित्र बनाना है।




मनोज कुमार ने यह भी कहा कि समग्र संघ साहित्य परिचर्चा का आयोजन इस उद्देश्य से किया गया है ताकि संघ का सही विचार साहित्य की विभिन्न विधाओं के माध्यम से आम जनता तक पहुंच सके। हालांकि संघ साहित्य का कलेवर उतना उत्कृष्ट नहीं हो सकता, लेकिन इसकी विषयवस्तु तथ्यात्मक होती है।




इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती के कार्यकारी अध्यक्ष और प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. विनोद बब्बर ने कहा कि उनकी संस्था निरंतर साहित्यिक कार्यक्रमों के माध्यम से जनमानस में साहित्य के प्रति रुचि उत्पन्न कर रही है।




इससे पहले, दूसरे सत्र में 20 साहित्यकारों, प्राध्यापकों और शोधार्थियों ने संघ विचारकों द्वारा लिखित पुस्तकों का सार प्रस्तुत किया। इनमें मनीषा शर्मा (भारत की संत परंपरा और सामाजिक समरसता), नवीन नीरज (और देश बंट गया), वरुण कुमार (धर्म और संस्कृति: एक विवेचना) जैसे कई नाम शामिल थे।




दूसरे सत्र का संचालन कार्यक्रम सह संयोजक प्रो. सारिका कालरा ने किया और धन्यवाद ज्ञापन इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती के कार्यकारिणी सदस्य डॉ. रजनी मान ने किया।




इस अवसर पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की राष्ट्रीय मंत्री प्रो. नीलम राठी, इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती के उपाध्यक्ष मनोज शर्मा, प्रो. ममता वालिया, महामंत्री संजीव सिन्हा, और कई अन्य साहित्यकार एवं शोधार्थी उपस्थित थे।