राष्ट्रपति मुर्मू ने योग को बताया भारत की सौम्य शक्ति का प्रतीक

योग का महत्व और अंतरराष्ट्रीय पहचान
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को योग को भारत की सौम्य शक्ति का एक अद्भुत उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि योग अब पूरी मानवता की साझा धरोहर बन चुका है।
योग दिवस के अवसर पर पुलिस लाइन में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने बताया कि जब से संयुक्त राष्ट्र ने 2015 में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने के भारत के प्रस्ताव को स्वीकार किया है, तब से कई देशों ने इसे अपने दैनिक जीवन में शामिल कर लिया है और इसके लाभ उठा रहे हैं।
उन्होंने कहा, 'यह अब पूरी मानवता की साझा धरोहर बन गया है।' योग की वैश्विक लोकप्रियता का उदाहरण देते हुए, उन्होंने कुवैत की योग साधक शीखा शेखा अली अल-जबर अल सबा का उल्लेख किया, जिन्हें भारत सरकार ने योग को बढ़ावा देने के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया।
राष्ट्रपति ने स्पष्ट किया कि योग किसी विशेष धर्म या समुदाय से संबंधित नहीं है, बल्कि यह एक स्वस्थ जीवन जीने की कला है। उन्होंने सभी से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए इसे दैनिक अभ्यास के रूप में अपनाने की अपील की।
उन्होंने कहा कि योग जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को रोकने, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और मन, शरीर और आत्मा के बीच संतुलन बनाने में सहायक है। मुर्मू ने उत्तराखंड की अपनी तीन दिवसीय यात्रा का समापन किया।
इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह भी उपस्थित थे। राज्यपाल ने कहा कि योग भारत की ओर से दुनिया को दिया गया अनमोल उपहार है।
उन्होंने यह भी कहा, 'भारत पहले से ही योग के क्षेत्र में 'विश्व गुरु' के रूप में अपनी भूमिका निभा रहा है।' इस कार्यक्रम में राज्य के कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल भी शामिल हुए, जहां विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोगों ने योगासन किए।