रायपुर के जिम और योग केंद्रों की बदहाली: करोड़ों की लागत बेकार

रायपुर नगर निगम ने करोड़ों रुपये खर्च कर हाईटेक जिम और योग केंद्र स्थापित किए थे, लेकिन अब ये सुविधाएं बंद पड़ी हैं। स्थानीय लोग निराश होकर लौट रहे हैं, जबकि निगम ने इन केंद्रों के संचालन की जिम्मेदारी नहीं ली। जानें इस स्थिति के पीछे की वजहें और स्थानीय निवासियों की प्रतिक्रिया।
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रायपुर में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति

रायपुर के जिम और योग केंद्रों की बदहाली: करोड़ों की लागत बेकार


रायपुर नगर निगम ने शहरवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर हाईटेक जिम और योग केंद्र स्थापित किए थे। हालांकि, अब ये सुविधाएं खुद ही उपेक्षा का शिकार हो गई हैं। शहर के जिम और योग केंद्रों पर महीनों से ताले लटके हुए हैं, जिससे आम जनता को इनका कोई लाभ नहीं मिल रहा है।


अंतरराष्ट्रीय स्विमिंग पूल के पीछे लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये की लागत से जिम की इमारत बनाई गई थी, और इसमें लगभग तीन करोड़ रुपये की अत्याधुनिक मशीनें लगाई गई थीं। इसके बावजूद, शहरवासी इन सुविधाओं का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।


बिल्डिंग का उपयोग नहीं हो रहा

नगर निगम की योजना थी कि यहां एक पाली में लगभग 120 लोग व्यायाम कर सकें। इसके लिए आधुनिक एक्सरसाइज मशीनें और योग के संसाधन लगाए गए थे, लेकिन संचालन की उचित व्यवस्था न होने के कारण यह योजना कागजों तक ही सीमित रह गई है। अब यह बिल्डिंग अनुपयोगी साबित हो रही है।


प्रशिक्षकों की कमी

शुरुआत में इन जिम और योग केंद्रों में प्रशिक्षकों की नियुक्ति की गई थी, जो लोगों को योग और व्यायाम के सही तरीके सिखाते थे। लेकिन कुछ समय बाद प्रशिक्षक चले गए और केंद्रों का संचालन बंद हो गया। अब महंगी मशीनें धूल खा रही हैं।


राजधानी का एकमात्र मल्टी जिम

सर्दियों में गार्डन, योग केंद्र और जिम की आवश्यकता सबसे अधिक होती है। ऐसे में निगम के केंद्र बंद रहने से लोग मजबूरन निजी जिमों का रुख कर रहे हैं, जहां उनसे अधिक शुल्क लिया जा रहा है। यह राजधानी का पहला मल्टी जिम था, जो लगभग तीन करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया था। इसमें बुजुर्गों, युवाओं और बच्चों के लिए अलग-अलग सुविधाएं थीं।


स्थानीय लोगों की निराशा

स्थानीय निवासी बताते हैं कि सुबह और शाम बड़ी संख्या में लोग व्यायाम के लिए इन केंद्रों पर आते हैं, लेकिन ताले देखकर निराश होकर लौट जाते हैं। नगर निगम ने करोड़ों रुपये खर्च कर इन्फ्रास्ट्रक्चर तो खड़ा किया, लेकिन रखरखाव और संचालन की जिम्मेदारी तय नहीं की गई। नतीजतन, ये केंद्र कई महीनों से बंद पड़े हैं।


नगर निगम का कहना है कि यहां उपकरणों की चोरी की घटनाएं हो रही थीं, जिसके कारण इसे बंद किया गया था। फिलहाल यहां कला केंद्र बनाया गया है और इसे फिर से संचालित करने की योजना पर विचार किया जा रहा है।


– विनोद कुमार पांडेय, अपर आयुक्त, नगर निगम, रायपुर